आम चुनाव में निर्णायक जनादेश मिलने के बाद अब नीतियों में बदलाव पर ध्यान होगा, जिनमें राजकोषीय और मौद्रिक दोनों नीतियों को आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के अनुकूल बनाने कोशिश होगी जिससे उपभोग और निजी निवेश को प्रोत्साहन मिले।
मौद्रिक नीति के नजरिए से देखें तो इसका मकसद महंगाई को लक्ष्य के अधीन रखना और आर्थिक विकास को प्रोत्साहन देना रहा है। इसलिए तरलता के लिहाज से कुछ संरचनात्मक उपायों की उम्मीद की जा सकती है, जिससे वित्तीय ढांचा को मजबूती मिले।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने पहले ही एनबीएफसी के लिए तरलता रूपरेखा की घोषणा की है और मजबूत बंधक सुरक्षा बाजार के विकास और परिसंपत्तियों की बिक्री के लिए गौण बाजार व अन्य को लेकर एक समिति का गठन किया है।
लिहाजा, तरलता के उपायों और ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद की जा सकती है।
ब्याज दर में 25 से लेकर 50 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद की जा सकती है।
केंद्रीय बैंक की नजर बजट की घोषणा से पैदा होने वाले राजकोषीय हालात पर भी होगी। वह वैश्विक कारकों, मसलन, व्यापारिक तनाव, कच्चे तेल की कीमतें और भूराजनीतिक समीकरण व मानसून के पूर्वानुमान को भी ध्यान में रखेगा।
(शांति एकमबरम कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड के कंज्यूमर बैंकिंग के प्रेसिडेंट हैं। आलेख में यह उनकी निजी राय है।)