सरकार ने कहा है कि सितंबर महीने में उपभोक्ता मुद्रास्फीति की दर 3.77 रही है, जो पिछले महीने 3.69 प्रतिशत की तुलना में अधिक है।
सरकार के अनुसार खुदरा क्षेत्र में मुद्रास्फीति की वजह खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतें और शेयर बाजार में गिरावट हैं। इसी के साथ कच्चे तेल के बढ़ते दाम और रुपये की गिरती कीमत भी खाद्य क्षेत्र को कमजोर बना रही है।
खुदरा क्षेत्र में मुद्रास्फीति इस बार अर्थशास्त्रियों के अनुमान से कम है।
भारत में आरबीआई उपभोक्ता संबन्धित खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़ों का हिसाब अपनी मौद्रिक नीति को बनाने के लिए रखता है। आंकड़ो के अनुसार उपभोक्ता मुद्रास्फीति अपने 10 महीनों के सबसे निचले स्तर पर पहुँच गयी है।
विशेषज्ञों के अनुसार कच्चे तेल के दामों में बढ़ोतरी, रुपये की कीमत में लगातार होती गिरावट और फसलों को लेकर न्यूनतम समर्थन मूल्य में परिवर्तन इस वर्ष मुद्रस्फीति में संभावित बढ़ोतरी के मुख्य कारण बनेंगे।
केंद्रीय बैंक अब अपनी अगली नीति समीक्षा दिसंबर में करेगा।
विशेषज्ञों के अनुसार इस बार इस सभी कारकों के चलते मुद्रास्फीति की दर 4 प्रतिशत तक भी पहुँच सकती है। खाद्य पदार्थों में महंगाई की दर सितंबर माह में 0.51 प्रतिशत दर्ज़ हुई है, जबकि अगस्त माह में यही दर 0.29 प्रतिशत थी।
हालाँकि इसी के साथ विशेषज्ञों ने ये भी कहा है कि देश में इस बार का खाद्य उत्पादन पिछली बार की तुलना में बेहतर हुआ है, जिसकी वजह से खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमत में कुछ हद तक उपभोक्ता को राहत मिल सकती है।