एक बहुत ही मशहूर कहावत हैं “अगर आग में हाथ डालोगे तो हाथ जलेगा ही” और अगर वो आग धर्म की हो तो वह मनुष्य को आबाद और बर्बाद करने की पूर्ण शक्ति रखती हैं, पर वो निर्भर करता हैं कि व्यक्ति कितना बुद्धिमान हैं क्यूंकि “आग घर का चूल्हा भी जलाती है और घर भी” अब आपके ऊपर हैं आप आग को किस तरह प्रयोग में लेते हैं। शायद ऐसा ही कुछ हुआ है आध्यत्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के साथ, अब जिस डाल पर बैठे हो और अगर उसे ही काटोगे तो अंजाम कुछ ऐसा ही होना हैं, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के बयान से नाराज हो गुरुजी ने धर्मसंसद से किनारा कर लिया हैं।
आपको बता दें “ऑर्ट ऑफ लिविंग” के संस्थापक श्री श्री रवि शंकर ने काफी समय से चल रहे अयोध्या राम मंदिर विवाद में मध्यस्थता करने की पेशकश की और इसे सुलझाने का प्रयास किया और वह इसे लेकर पहले भी कई पक्षकारों से बात कर चुके हैं, वैसे श्री श्री पिछले दिनों हुए अपने अयोध्या दौरे पर यह बात स्पष्ट कर चुके हैं कि मामला काफी संवेदनशील है और सभी पक्षों को सहमति के साथ एक साथ लाने में लंबा वक्त लग सकता है। इस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा हैं कि वो पहले ही श्री श्री रविशंकर को समझा चुके हैं कि राम मंदिर विवाद मामले में उनको दखल नहीं देनी चाहिए, उन्होंने कहा कि इस मामले में फैसले का अधिकार व अगुवाई धर्म संसद को करनी चाहिए, जबकि इसके विपरीत इस मसले पर श्री श्री रविशंकर खुद ही फैसले ले रहे हैं।
शायद इसी बात से नाराज होते हुए श्री श्री ने कर्नाटक के उडुपी में जारी तीन दिवसीय धर्म संसद में शामिल होने से इनकार कर दिया है।