राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) राम जन्माभूमि मुद्दे को पुनर्जीवित करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी आंदोलन शुरू करने की तैयारी में है। एक रिपोर्ट के अनुसार सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मातृ संगठन दो महीनों में राम मंदिर बनाने के लिए जन आंदोलन करेगी।
आरएसएस नेताओं ने कहा है कि अयोध्या विवाद 2019 के आम चुनावों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
आरएसएस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा “जहाँ एक तरफ लोगों का एक बड़ा वर्ग अयोध्या विवाद को निपटाने के लिए वर्तमान आन्दोलन को जारी रखना चाहता है, वहीं ऐसे लोगों का एक वर्ग है जो किसी अन्य आंदोलन की आवश्यकता के बारे में सोचते हैं। लोग अयोध्या विवाद के बारे में भूल गए हैं या इससे अवगत नहीं हैं। आरएसएस का मानना है कि इस मुद्दे को पुनर्जीवित करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।”
राम मंदिर मुद्दे के पुनर्जीवित करने की मांग में आरएसएस अकेले नहीं है। आरएसएस के एक सहयोगी विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) 9 दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक धर्म संसद आयोजित करने की योजना बना रहा है।
संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत से दो दिन पहले ‘धर्म संसद’ निर्धारित किया गया है। इस धर्म संसद का उद्धेश्य अयोध्या में मंदिर के निर्माण का समर्थन करने के लिए एनडीए सरकार पर दबाव डालना है। शीतकालीन सत्र 11 दिसंबर से शुरू होने वाला है और 8 जनवरी तक चलेगा।
वीएचपी के प्रवक्ता विनोद बंसल ने कहा “धर्म संसद का समय महत्वपूर्ण है क्योंकि हम उम्मीद करते हैं कि विपक्षी दलों के साथ केंद्र सरकार अयोध्या में मंदिर के निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगी। हमारा नारा ‘जो नही है राम का, वो नही हमारे काम का।’
पिछले हफ्ते वीएचपी ने राम जन्माभूमि आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए नागपुर, मुंबई और मैंगलोर समेत देश भर के सात स्थानों पर धर्म संसद कार्यक्रम आयोजित किए थे।
वीएचपी का दावा है कि धर्म संसद में हिंदू धार्मिक नेताओं और राम भक्तों का सबसे बड़ा जमावड़ा होगा। वीएचपी दिल्ली के रामलीला मैदान में 300,000 लोगों को एक साथ जुटाने की योजना बना रहा है।
बंसल बताते हैं “हमारे पास जानकारी है कि राम के भक्तों के साथ 10,000 बसें आ रही हैं, हम 3 लाख लोगों के लिए खाद्य पैकेट तैयार कर रहे हैं।”
वीएचपी हर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में धर्म संसद का आयोजन भी करेगा और राम मंदिर बनाने में मदद के लिए स्थानीय सांसद का समर्थन अर्जित करेगा।