प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही देश में एक स्वास्थ संबंधी योजना शुरू की है, आयुष्मान भारत नाम की यह योजना विश्व की सबसे बढ़ी स्वास्थ सेवा योजना है। अब इस योजना की सफलता की राह में एक दिक्कत नज़र आने लगी है और वो है इस योजना का पूर्ण रूप से प्रचार न होना।
देश में चल रहे विश्व कि सबसे बड़ी स्वास्थ संबंधी योजना के विषय में भारत के 50 करोड़ से भी अधिक लोगों को खबर ही नहीं है। इस दशा में इतनी बड़ी योजना का सफल हो पाना मुश्किल है।
इस समस्या का समाधान देते हुए नीति आयोग के सदस्य ने विनोद पॉल ने बताया है कि “प्रधानमंत्री मोदी ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है, इसके तहत प्रधानमंत्री मोदी करीब 10 करोड़ परिवारों को पत्र भेज रहे हैं, इसके तहत देश के 40 करोड़ से भी अधिक लोग इस योजना से अपने आप ही जुड़ जाएँगे।”
पॉल ने ने बताया है कि देश में इतने बड़े स्तर पर स्वास्थ योजना को लागू करना बड़ा काम है। ऐसे में एक ओर जहाँ देश की जनता को सस्ती स्वास्थ सेवाएँ उपलब्ध हो जाएंगी, वहीं दूसरी ओर देश में स्वास्थ के क्षेत्र में अधिक रोजगार भी पैदा होंगे।
पॉल ने इसी के साथ कहा है कि इस योजना के तहत प्राइवेट सेक्टर भी सरकार का पूरा सहयोग कर रहा है। इस योजना के तहत पंजीकृत हुए 15 हज़ार अस्पतालों में आधे अस्पताल प्राइवेट सेक्टर के ही हैं। इसी के साथ ही सरकार को 49 हज़ार स्वास्थ संस्थानों से भी इस योजना से जुडने का आवेदन मिला है।।
आयुष्मान भारत योजना की घोषणा इसी वर्ष प्रधानमंत्री ने लालकिले से स्वतन्त्रता दिवस के उपलक्ष्य में की थी। वहीं इस योजना का शुभारंभ प्रधानमंत्री ने 23 सितंबर को रांची से किया था। हाल ही में योजना शुरू होने के 1 महीने के भीतर ही मध्यप्रदेश के रीवा शहर में इस योजना के तहत लाभ पाने वाले 1 लाखवें शख्स ने अपना इलाज करवाया है।
देश भर में अभी तक 1 लाख 12 हज़ार लोग इस योजना का लाभ उठा चुके है। इसके तहत सरकार ने योजना के लाभार्थियों को करीब 1.4 अरब रुपए की सहायता उपलब्ध कराई है।
इस योजना के तहत देश में गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रहे करीब 5 करोड़ 20 लाख लोगों को इसका खासा लाभ मिलेगा। देश में इस समय स्वास्थ संबंधी कार्यक्रमों पर देश की जीडीपी का 1 प्रतिशत हिस्सा खर्च होता है, इसे 2025 तक बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत करने का इरादा है।