भारत सरकार की नागरिकों को प्रदुषण रहित इंधन प्रदान करने की पहल ने एक सकारात्मक असर दिखाया है। इस पहल के कारण भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा एलपीजी उपभोक्ता बन गया है। ऑयल सेक्रेटरी ने यह जानकारी एशिया एलपीजी समिट में दी।
एलपीजी उपभोक्ताओं के आंकड़े :
एशिया एलपीजी समिट में बयान दिया की भारत में हर वर्ष एलपीजी उपभोक्ता 15 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया की 2014-15 में भारत में केवल 14.8 करोड़ उपभोक्ता थे जोकि वर्ष 2017-18 तक तेज़ी से बढ़कर 22.4 करोड़ तक पहुँच चुके हैं।
ग्रामीण इलाकों तक एलपीजी की पहुँच और बढती जनसँख्या के कारण एलपीजी का उपभोग भी बढ़ गया है। इसी की वजह से हर साल 8.4 प्रतिशत की औसत दर से इसका उपभोग बढ़ रहा है। हर साल भारत 22.5 मिलियन टन एलपीजी का प्रयोग कर रहा है जोकि दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आंकड़ा है।
उज्ज्वल योजना की उपलब्धियां :
सरकार ने देश भर में विशेषकर ग्रामीण परिवारों में रसोई गैस के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए कई पहल की हैं, जो अन्यथा पारंपरिक ईंधन पर निर्भर करती हैं जो स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हैं और प्रकृति को प्रदूषित कर रहे हैं। गरीबों को मुफ्त रसोई गैस (एलपीजी) कनेक्शन प्रदान करने की प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY) के तहत, 1 मई 2016 को योजना के शुभारंभ के बाद से 6.31 करोड़ से अधिक कनेक्शन प्रदान किए जा चुके हैं।
इसी योजना के कारण देश में रसोई गैस का कवरेज अब 90 प्रतिशत के करीब पहुंच गया है, जो 2014 में लगभग 55 प्रतिशत हो गया है। इसका श्रेय उज्ज्वल योजना को दिया जाता है। साथ ही, सरकार ने एलपीजी सब्सिडी को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में हस्तांतरित करना शुरू कर दिया है, जिससे दोहराव और नकली उपयोगकर्ता समाप्त हो गए हैं। इसके परिणामस्वरूप अब तक, 96,625 करोड़ रुपये से अधिक उपभोक्ताओं के बैंक खातों में स्थानांतरित किए गए हैं।
उज्ज्वल योजना का नया लक्ष्य :
जब यह स्कीम लांच की गयी थी तब इसका लक्ष्य 2018 तक 5 करोड़ कनेक्शन प्रदान करना था लेकिन अब इसका लक्ष्य बदलकर 2020 तक 8 करोड़ कनेक्शन प्रदान करना बन गया है।
एलपीजी को ग्रामीण रसोई में पारंपरिक खाना पकाने वाले ईंधन जैसे कि जलाऊ लकड़ी और गोबर से बदलना जा रहा है, जो न केवल पर्यावरणीय को हानि पहुंचाते है, बल्कि उपयोगकर्ताओं पर गंभीर स्वास्थ्य प्रभाव भी डालते हैं।