पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार वाले दिन घोषणा की है कि उनकी सरकार केंद्र सरकार की “आयुष्मान भारत योजना” से पीछे हटने का फैसला ले चुकी है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी की भाजपा ही योजना का सारा श्रेय ले रही है जो राज्य सरकारों द्वारा वित्त पोषित है।
नदिया जिले में कृष्णानगर में एक रैली को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा-“आज हम ‘आयुष्मान भारत योजना’ से पीछे हट रहे हैं। अब केंद्र को ही योजना की सारी कीमत का भुगतान करना होगा क्योंकि हम अपने हिस्सा की कीमत नहीं भरेंगे। हम क्यों भुगतान करें अगर केंद्र ही सारा श्रेय लेती है तो?”
इसके बाद उनकी सरकार ने केंद्र को योजना से पीछे हटने का एक पत्र भेज दिया जिसे ‘प्रधान मंत्री जान आरोग्य अभियान’ (PMJAY) भी कहा जाता है।
उन्होंने आगे कहा-“केंद्र डाक घरों से लोगों को ये कहते हुए पत्र भेज रही है कि उन्होंने लोगों का स्वास्थ्य बीमा करवाया है। वे सारा श्रेय कैसे ले सकते हैं जब इस योजना का 40% राज्य सरकारें भुगतान करती हैं तो?”
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि वे कानूनी विकल्प तलाश रहे हैं और राज्य को पहले से वितरित राशि की वापसी भी मांगेंगे। सूत्रों ने समझौता ज्ञापन का हवाला देते हुए कहा कि राज्यों या केंद्र को योजना से बाहर निकलने से पहले तीन महीने का नोटिस देना होगा। पश्चिम बंगाल योजना के तहत बेहतर प्रदर्शन करने वाले राज्यों में से एक है।
बनर्जी ने ये भी कहा कि योजना में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर और उनकी पार्टी का चुनाव चिन्ह-‘कमल’ का फूल लगा हुआ था। उन्होंने आगे कहा कि ये फूल पार्टी द्वारा किये गए भ्रष्टाचार और साजिशों का प्रतीक है। और यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
आयुष्मान भारत के CEO डॉक्टर इंदु भूषण ने कहा-“हम राज्य सरकार से बात करके उनकी परेशानियों को सम्बोधित करेंगे। हमें आशा है हम उनका फैसला पलटवा सकें। हमारे कार्ड में प्रधानमंत्री की तस्वीर नहीं है, वे पूरी तरह से अराजनैतिक है। और पत्र(जिसमे मोदी की तस्वीर है) केवल लाभार्थियों को योजना के बारे में अवगत कराने का जरिया है। कुछ दिक्कतें हैं मगर मुझे यकीन है कि हम उसे सुलझा लेंगे।”
सूत्रों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी को आंकड़े देने भी बंद कर दिए हैं और उच्च-स्तरीय आधिकारिक यात्रा राज्य सरकार द्वारा अब तीन सप्ताह के लिए ठप की जा रही थी।
पश्चिम बंगाल सरकार ने शुरुआत में इस योजना में हिस्सा लेने से मना कर दिया था क्योंकि उनके राज्य में पहले से ही ‘स्वास्थ्य साथी’ नाम की स्वास्थ्य सुरक्षा योजना थी। मगर पिछले साल जुलाई में उन्होंने ‘आयुष्मान भारत-स्वास्थ्य साथी’ के जॉइंट बैनर तले योजना को राज्य में लागू करने का फैसला किया। और तभी से, दोनों के बीच भुगतान को लेकर 60:40 का अनुपात तय हुआ था जिसमे राज्य सरकार 40% का भुगतान करती थी।