देश के सामने जल्द ही पहली राष्ट्रीय रोजगार नीति प्रस्तुत होगी, जो विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन के लिए एक रोडमैप तैयार करेगी। सरकार के इस कदम का उद्देश्य देश में रोजगार संबंधी समस्याओं से निपटना तथा रोजगार सृजन को बढ़ावा देना होगा। उम्मीद जताई जा रही है कि साल 2019 के आम चुनाव से पहले सरकार देश की यह पहली राष्ट्रीय रोजगार नीति आम बजट में प्रस्तुत कर सकती है।
ईटी को सरकार के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि इस बहुआयामी रोजगार नीति के तहत नियोक्ताओं को रोजगार सृजन करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा, उद्यमों को बढ़ावा देने संबंधी नियमों में सुधार किए जाएंगे तथा मध्यम और लघु उद्योगों को सरकारी मदद मुहैया कराई जाएगी।
इस राष्ट्रीय रोजगार नीति के तहत देशभर में हर साल जुड़े रहे 10 मिलियन से अधिक युवाओं को रोजगार देने की सुनिश्चितता तय की जाएगी साथ ही करीब 400 मिलियन वर्कफोर्स को ज्यादा से ज्यादा फॉर्मल बनाने की कोशिश की जाएगी क्योंकि मात्र 10 फीसदी कार्यक्षेत्र केवल संगठित क्षेत्र से हैं। इस शीर्ष अधिकारी ने कहा कि इस राष्ट्रीय रोजगार नीति का असली उद्देश्य रोजगार सृजन को बढ़ावा देकर देश के लाखों युवाओं को गरीबी से मुक्ति दिलाना है।
भारतीय उद्योग परिसंघ के एमएस उन्नीकृष्णन ने कहा कि मजबूत आर्थिक विकास के लिए बुनियादी ढांचे के बदलाव लाना होगा, उपभोक्ता वस्तुओं तथा विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ोतरी करनी होगी जिससे इन सेक्टर्स में नई नौकरियां बढ़ेंगी तथा कुछ नौकरियां अपग्रेड हो सकेंगी।
बेरोजगारी में बढ़ोतरी
श्रम मंत्रालय के त्रैमासिक सर्वेक्षण के मुताबिक, पिछले 6 सालों में सबसे कम रोजगार सृजन मात्र 135,000 साल 2015 में किया गया, जबकि साल 2014 में 421,000 तथा साल 2013 में 419,000 नए रोजगार सृजन किए गए थे। इस सर्वेक्षण में यह भी बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2016 में पिछले 5 सालों में बेरोजगारी दर 5 फीसदी बढ़ी है। जबकि वित्तीय वर्ष 2014 में यह बेरोजगारी दर 4.9 फीसदी तथा साल 2013 में 4.7 फीसदी रही।
अनौपचारिक रोजगार की अधिकता
गौरतलब है कि देश के करीब 90 फीसदी कर्मचारी अनौपचारिक रोजगार क्षेत्र से जुड़े हुए हैं, जोकि किसी भी सामाजिक सुरक्षा कानून के दायरे में नहीं आता है। यहीं नहीं इस अनौपचारिक रोजगार में कर्मचारियों को उनकी न्यूनतम मजदूरी भी मुहैया नहीं कराई जाती। फिलहाल केंद्र सरकार देश में मौजूदा रोजगार स्थिति का आकलन कर रही है, ताकि रोजगार सृजन की चुनौतियों से निपटा जा सके।
मोदी के रोजगार वादे का क्या होगा?
2014 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नरेंद्र मोदी ने एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। लेकिन अभी तक देश में बढ़ रही बेरोजगारी से निपटने के लिए नीति आयोग के बाद रोजगार नीति का मसौदा तैयार किया जा रहा है। संभवत: मोदी सरकार अपनी रोजगार नीति को आगामी बजट में पेश करे।
इस रोजगार नीति में देश में व्याप्त बेरोजगारी से निपटने की बात की गई है। जबकि सच्चाई यह है कि करीब 15 लाख से ज्यादा लोग हर महीने देश के जॉब मार्केट में नौकरी की तलाश करने आते हैं।
सीआईआई के मुताबिक, वित्तीय साल 2012 से लेकर 2016 के बीच में 1.46 करोड़ रोजगार के मौके बने थे। यानि हर साल 36.5 लाख अवसर बने। ठीक इसके विपरीत कामकाजी उम्र के लोगों की संख्या में 8.41 करोड़ की बढ़ोतरी हुई। लेकिन केवल 2.01 करोड़ लोगों को ही रोजगार मिल सका।