नई दिल्ली, 5 जुलाई (आईएएनएस)| सरकार ने शुक्रवार को कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ को मजबूती देने के लिए एमएसएमई क्षेत्र की ऋण तक सुगम पहुंच उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने एक समर्पित ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से 59 मिनट के भीतर एक करोड़ रुपये तक का ऋण उपलब्ध कराने की योजना शुरू की है।
केन्द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में 2019-20 का आम बजट पेश करते हुए इस क्षेत्र को सशक्त बनाने के उद्देश्य से विभिन्न प्रस्तावों की घोषणा की।
सीतारमण ने कहा कि ब्याज माफी योजना के तहत समस्त जीएसटी पंजीकृत एमएसएमई के लिए नए अथवा पुराने ऋणों पर दो प्रतिशत की ब्याज माफी हेतु वर्ष 2019-20 के लिए 350 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार एमएसएमई के लिए एक भुगतान प्लेटफॉर्म का सृजन करेगी, ताकि बिल प्रस्तुत करने और उसके भुगतान का कार्य एक ही प्लेटफॉर्म पर किया जा सके।
वित्तमंत्री ने घोषणा की कि “भारत सरकार ने प्रधानमंत्री कर्मयोगी मानधन योजना नामक नई योजना के तहत 1.5 करोड़ रुपये से कम वार्षिक कारोबार करने वाले लगभग तीन करोड़ खुदरा व्यापारियों और छोटे दुकानदारों को पेंशन लाभ देने का फैसला किया है। इस योजना में नामांकन प्रक्रिया को सरल रखा जाएगा, जिसमें केवल आधार और बैंक खाते की जरूरत होगी और शेष स्वघोषणा पर निर्भर करेगा।”
बजट में मेक इन इंडिया को बढ़ावा देने के लिए अप्रत्यक्ष करों के अंतर्गत भी प्रस्ताव किए गए हैं, जिनसे एमएसएमई क्षेत्र भी लाभान्वित हो सकता है। उदाहरण के लिए घरेलू उद्योग को समस्तरीय क्षेत्र मुहैया कराने के लिए काजू गरी, पीबीसी, विनाइल फ्लोरिंग, टाइल, फर्नीचर के लिए मैटल फिटिंग माउंटिंग, ऑटो पार्ट्स कुछ खास प्रकार के सिंथेटिक रबड़, मार्बल स्लैब्स, ऑप्टिकल फाइबर केवल, सीसीटीवी कैमरा, आईपी कैमरा, डिजिटल और नेटवर्क वीडियो रिकॉर्डर जैसे मदों पर बुनियादी सीमा शुल्क बढ़ाया जा रहा है।
भारत में विनिर्मित किए जाने वाली कुछ खास मदों पर सीमा शुल्क छूट को भी वापस लिया जा रहा है। इसके अलावा पाम, स्टेरिंग, वसा युक्त तेलों पर अंतिम प्रयोग आधारित छूट तथा विभिन्न प्रकार के कागजों पर छूट भी समाप्त की जा रही है।