हाल ही में, दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष बनी शीला दीक्षित ने आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन बनाने की सभी संभावनाओं को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस अपने बलबूते पर चुनाव लड़ने की क्षमता रखती है।
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दिए गए भारत रत्न को वापस लेने के लिए शुरू किए गए प्रस्ताव पर आप की आलोचना करते हुए दीक्षित ने कहा-“जो उन्होंने किया है उसके बाद उनके साथ गठबंधन बनाने का सवाल ही पैदा नहीं होता। मेरी हमेशा से ही ये राय रही है कि कांग्रेस को अलग रहकर अपने आप लड़ना चाहिए। हम ये कर सकते हैं और ये मुश्किल नहीं है। हमें बस साथ रहकर लड़ना होगा।”
उन्होंने आगे कहा-“आप कोई ऐसी पार्टी नहीं है जिसकी हमें चिंता करनी चाहिए। ये एक राजनीतिक पार्टी है जो दिल्ली तक सीमित है। बाकि राज्यों में इसकी मौजूदगी कहा है? गुजरात या राजस्थान में ये कहा है? ये एक छोटी पार्टी है जो आएगी और चली जाएगी।”
आगामी लोक सभा चुनावों में, भाजपा को हराने के लिए महागठबंधन की जरुरत वाले सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा कोई डर नहीं था कि कांग्रेस का सफाया हो जाएगा।
उनके मुताबिक, “आकर मेरे साथ एक दिन बिताकर देखो। कांग्रेस को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। क्षेत्रीय पार्टियां ताकतवर नहीं हो रही हैं। क्योंकि उन्होंने सीट जीत ली इसका मतलब ये नहीं है कि वे ताकतवर हैं और क्योंकि हम चुनाव हार गए इसका मतलब ये नहीं है कि हम समाप्त हो चुके हैं।”
उन खबरों को खारिज करते हुए कि सपा और बसपा ने इतनी पुरानी पार्टी पर भरोसा नहीं किया और उन्हें गठबंधन से अलग कर दिया, दीक्षित ने कहा-“आपका क्या मतलब है कि वे पार्टी पर भरोसा नहीं करते हैं? मैं सिर्फ एक ही चीज़ कहना चाहूंगी। आज जो आप भारत में विकास देख रहे हैं, अपने आसपास जो देख रहे हैं, ये केवल कांग्रेस की वजह से ही हुआ है। और कौन था यहाँ? भाजपा अभी आई है।”
भाजपा लहर पर तंज कसते हुए नयी प्रमुख ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भगवा पार्टी अजेय नहीं है। उन्होंने कहा-“मुझे नहीं लगता कि वे अजेय हैं। ये केवल मीडिया में है। कई लोगों को खुले में बोलने की अनुमति नहीं इसलिए लोग कह नहीं रहे है। मगर वे निश्चित रूप से ऐसे नेता नहीं है जो हमारे पास होने चाहिए।”
जब उनसे पूछा गया कि यूपी में सीएम का चेहरा बनाने के बाद उन्हें छोड़ दिया गया तो क्या वे खुद को कांग्रेस द्वारा इस्तेमाल किया हुआ समझती हैं तो उन्होंने कहा कि अगर पार्टी को लगता है कि वे इस भूमिका के लिए सक्षम है तो वे कभी मना नहीं करेंगी।
दीक्षित ने कहा कि इस तथ्य से उत्पन्न हुई आलोचना कि कांग्रेस ने हमेशा युवा शक्ति की बात की थी, लेकिन राहुल गांधी ने पुराने युद्धोन्माद पर ध्यान दिया, न्यायसंगत नहीं थी क्योंकि लोकतंत्र में सभी मामलों में जीत मायने रखती है। उन्होंने कहा-“किसी को कुछ भी अवैध नहीं करना चाहिए लेकिन यह ठीक है हैं। राहुल युवाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं।” दीक्षित ने ये भी कहा कि एक कांग्रेस नेता होने के नाते, वह गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहेंगी।
अपनी पार्टी का 1984 के सिख-विरोधी दंगों पर बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि जगदीश टाइटलर और कमल नाथ का नाम मीडिया और भाजपा द्वारा उछाला गया है मगर अब ये मुद्दा नहीं रहा। उनके मुताबिक, “हमें क्या फर्क पड़ता है भाजपा कुछ भी कहती है तो। हम तय करते हैं की किसको आमंत्रित करना चाहिए। मुद्दा निबट चुका है। हम उसके बाद तीन चुनाव जीत चुके हैं और कुछ लोग इस मुद्दे को बार बार ये सोच कर उठाना चाहते हैं कि ये काम करेगा मगर ऐसा नहीं होगा।”