भारत सरकार के सचिव के पद से सेवानिवृत्त होने के लगभग डेढ साल बाद, ओम प्रकाश रावत ने अपने परिवार के साथ यूरोप भ्रमण का कार्यक्रम बनाया था। लेकिन उनकी सारी तैयारियों पर उस समय विराम लग गया जब उन्हे तत्काल प्रभाव से मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया गया।
रविवार को ही रावत को 22 वें मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर नियुक्त किया गया। उनका कार्यकाल 2 दिसंबर तक रहेगा, जब तक वह अपने जीवन के 65 बसंत देख चुके होंगे। अपने कार्यकाल के दौरान वह 8 राज्यों मे चुनाव करवाएंगे, जिनमे – त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय (अगले महीने), कर्नाटक (अप्रैल-मई) और मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ, राजस्थान, मिज़ोरम (साल के अंत मे) शामिल हैं।
“चुनाव आयोग के अध्यक्ष के रूप मे मेरी प्राथमिकता है कि मै लोगो तक निष्पक्ष चुनाव को पहुचाऊ। चुनाव आयोग मे जरूरी संशोधन भी मेरा लक्ष्य है।” रावत नें कहा।
चुनाव के नियमों मे बदलाव पर उन्होंने कहा कि, “हम इस नीति पर विचार कर रहे है कि एक राज्य से दूसरे राज्य जाने वाले नागरिको को, सेना की तरह ही वोट देने दिया जाए। मै आधार को वोटर आई डी से लिंक करने को सही मानता हूँ। इससे चुनाव केंद्र पर वोटर की बायोमीट्रिक जाँच कर हम जालसाजी रोक सकते है।”
इवीएम को इन्टरनेट या किसी और यंत्र से जोड़ने को वह गलत बताते है। रावत के पिता, श्री राम स्वरूप रावत एक प्राइमरी स्कूल मे टीचर थे और उनकी माता एक गृहणी। इनका जन्म झाँसी मे हुआ और इन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा सरकारी स्कूल से प्राप्त की। इसके बाद इन्होंने बीएचयू से भौतिकी मे स्नातकोत्तर किया। इसके बाद इन्होंने सिविल सेवा की परीक्षा उत्तीर्ण की और आईएएस के तौर पर कार्यरत हो गए।
रावत बताते है कि, उनका सबसे संतोषजनक कार्यकाल, मध्य प्रदेश मे रहा (2007-2009) जहाँ वह आदिवासी जन के लिए जंगल अधिनियम का सुचारू कामकाज देखते थे। इसके लिए इन्हे 2010 मे प्रधानमंत्री आवर्ड फाॅर एक्सीलेंस मिला। हालांकि चुनाव आयोग के, आप के 20 विधायको की बर्खास्तगी का फैसला सवालो के घेरे मे है। दिल्ली के मुख्यमंत्री ने भी रावत के कई फैसलों पर, उनपर भेदभाव का आरोप लगाया था।