आधार कार्ड को लेकर विवाद ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। अब ताजा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बैंक खातों को आधार से लिंक करने की अंतरिम तारीख पर स्टे लगा दिया है। साथ ही इस मामले की सुनवाई संविधान पीठ को करने को कहा है।
कोर्ट ने अपने फैसले में ये साफ कह दिया कि मोबाइल फोन और कंपनिया बेवजह मैसेज भेजकर अपने ग्राहकों को परेशान न करे, न ही उन्हें खाता बंद करने की चेतवानी देकर डरायें। दरअसल पिछले कुछ दिनों से सभी मोबाइल और टेलीफोन कंपनिया ग्राहकों को अपना अकाउंट आधार से लिंक करने का निर्देश दे रही है। और ऐसा न करने पर अकाउंट बंद करने की बात कह रही है।
केंद्र सरकार ने जब मैसेज भेजकर खाता डीएक्टिवेट करने वाली घटना को मानने से इंकार कर दिया तब जस्टिस ए. के. सीकरी ने खुद कह दिया कि ‘मैं कहना नहीं चाहता पर मुझे भी ऐसे मेसेज मिले हैं।’
जस्टिस का इशारा एक ही दिन में मिल रहे उन तमाम संदेशों की तरफ था जो खाता डीएक्टिवेट करने का चेतवानी दे रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने चेतवानी भरे लहजे में कहा है कि कंपनिया इस तरह के मैसेज भेजने से बाज आए।
गौरतलब है कि कुछ सामाजिक संगठनो ने कंपनियों कि तरफ से मिल रहे संदेशों पर आपत्ति जताई थी, और ये मांग कि थी कि जब तक संविधान पीठ आधार को वैध नहीं कर देती तब तक ऐसे मैसेज न भेजे जाए।
सरकार ने अदालत में कहा कि मोबाइल नंबर्स को वारीफिकेशन के नजर से आधार कार्ड से लिंक किया जायगा तथा नए सिमकार्ड लेने पर आधार अनिवार्य होगा।