भारत के ख़ुफ़िया विभाग रिसर्च एंड विंग एनालिसिस (रॉ) के पूर्व अधिकारी ने बताया कि आतंकवाद का इस्तेमाल पाकिस्तान की विदेश नीति में हमेशा रहेगा, चाहे नीतियाँ बंद ही क्यों न हो जाए। टेलीग्राफ में प्रकाशित एक आर्टिकल में पूर्व विशेष सचिव आनंद अर्नी ने कहा कि “इस पल में पाकिस्तानी नीति में परिवर्तन की हमारी उम्मीद बेहद नगण्य है।”
उन्होंने कहा कि “पाकिस्तान अपनी नीति में आतंकवाद का इस्तेमाल करना जारी रखेगा जब तक विश्व कुछ व्यापक और दंडात्मक नहीं करता है। यह धोखेबाजी का खेल है और अफ़सोस वह इसमें बेहद माहिर है।” फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स ने पाकिस्तान को दो बार ग्रे सूची में कायम रखा है।
हालाँकि पाकिस्तान विश्व को आतंक रोधी कार्रवाई से संतुष्ट कर काली सूची में जाने से बच जाता है। एफएटीएफ की तरफ से ब्लैकलिस्ट होने की सभी संभावनाओं को ख़ारिज करने की कोशिश करता है। आतंकवादी समूह से बातचीत के संपर्क कई सवालों को उठाता है।
उन्होंने कहा कि “उनके पास अच्छा कारण है कि वह सावधानी से सुधार कर रहे हैं। उनके पास धन की कमी है और वे नहीं चाहते कि अमेरिका आईएमएफ को बेलआउट पैकेज में बाधा डाले। पाकिस्तान चाहता है कि विश्व यकीन करे कि एलईटी जैसे आतंकी समूहों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई कर रहे हैं।”
अर्नी ने कहा कि “लश्कर के आतंकी विशेष सैन्य क्षमता से प्रशिक्षित है और उनके हथियार छिनना या सक्रियता रोकना आसान नहीं है। पाकिस्तान की सरजमीं से आतंकवादी संगठन आक्रमकता से संचालित कर रहे हैं और कुछ के पडोसी मुल्क अफगानिस्तान से भी संपर्क है।”
उन्होंने कहा कि “हाल ही में पाकिस्तान के एक संवाददाता ने दावा किया था कि मई में इस्लामिक स्टेट और एलईजे से संबंधों चरमपंथियों को डेरा गाजी खान और सियालकोट में गिरफ्तार किया गया था।”
अधिकारी ने दावा किया कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं करता तो विश्व को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। अगर पाकिस्तान यह नहीं बताता कि वह एलईटी के लडाको के साथ क्या कर रहा है तो यह विश्व के लिए बुरी खबर हो सकती है। यह भी सम्भव है कि यह समूह दुनिया के लिए एक खतरा बनकर उभरे। तीन वर्ष पूर्व इस समूह का विस्फोटक विशेषज्ञ फ्रांस में पकड़ा गया था और सम्भावना है कि इस लडाकों की भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और दक्षिण पूर्व एशिया में भी मौजूदगी हो।”