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    पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान

    अमेरिका का ट्रम्प प्रशासन पाकिस्तान पर उसकी सरजमीं पर संचालित आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव बना रहा है। 14 फरवरी को पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सुधरते रिश्तों के समीकरण और अधिक बिगड़ गए थे।

    अमेरिकी राज्य विभाग के अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि “अमेरिका सख्ती और सार्वजिनक तौर पर हमले के खिलाफ प्रतिक्रिया पर भारत के साथ खड़ा है। अब हमारा ध्यान पाकिस्तान पर आतंकी समूहों के खिलाफ अपरिवर्तनीय और निरंतर कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाने पर है। हम इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के अन्य देशों के साथ कार्य कर रहे हैं।”

    उन्होंने कहा कि “हमले की प्रतिक्रिया पर हम भारत के साथ खड़े हैं जो हमारे बयानों में भी नज़र आता है। हम दोनों देशों को सैन्य तनाव कम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और सीधे तौर पर बातचीत के लिए कहते हैं।” पुलवामा आतंकी हमले के बाद अमेरिका ने न सिर्फ भारत द्वारा आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन किया बल्कि पाकिस्तान पर भी आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए दबाव बनाया था।

    राज्य सचिव माइक पोम्पिओ ने कहा कि “पाकिस्तान को आतंकी समूहों का पनाहगार नहीं बनना चाहिए। हम देख सकते हैं भारत के साथ क्या हुआ। पाकिस्तान को आगे बढ़ने की जरुरत है। उन्हें आतंकियों को पनाह देना बंद करने की जरुरत है।”

    अमेरिकी अधिकारी के मुताबिक भारत और पाकिस्तान दोनों ने तनाव को कम करने का बीड़ा गंभीरता से उठाया था। अगर पाकिस्तान आतंकियों को पनाह देने की अपनी पुरानी नीति पर चलता रहेगा तो अमेरिका को अन्य विकल्पों को तलाशना होगा। इसमें वीजा प्रतिबन्ध, गैर नाटो सदस्य का दर्जा वापस लेना और पाकिस्तान को सिविलियन मदद में कमी करना शामिल है।

    जनवरी 2018 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पाकिस्तान की सैन्य सहायता पर रोक लगा दी थी। उन्होंने कहा कि “अमेरिका का मकसद पाकिस्तान को समझाना है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से अलग थलग होना उनके हित में नहीं है और भारत के साथ स्थिर सम्बन्ध पाकिस्तान के हित में हैं।”

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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