लाहौर उच्च न्यायलय ने सोमवार को जमात उद दावा के प्रमुख हाफिज सईद की याचिका को स्वीकार कर लिया है जिसमे आतंकी वित्तपोषण के मामले के खिलाफ उनकी गिरफ्तारी को चुनौती दी गयी है। लाहौर उच्च न्यायलय के दो सदस्यीय पीठ ने तफ्शील से सुनवाई के बाद पंजाब सरकार और आतंक रोधी विभाग से 28 अक्टूबर को रिपोर्ट मांगी है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी हाफिज सईद को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल किया है और आतंकवाद वित्तपोषण से संबंध में उन्हें 17 जुलाई को गिरफ्तार किया गया था और इस दौरान सईद लाहोर से गुजरांवाला की तरफ जा रहे थे। इस आतंकवादी पर प्रतिबंधित समूहों के लिए धन एकत्रित करने के आरोप है।
3 जुलाई को प्रतिबंधित जमात उद दावा के 13 आला नेताओं को आतंकी वित्तपोषण और धनाशोधन के करीब दो दर्जन मामले में गिरफ्तार किया गया था। सईद और निब अमीर अब्दुल रहमान मक्की को 1997 के आतंकवाद रोधी कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था।
जमात उद दावा से संबंधित संस्था के महासचिव मलिक जफर इकबाल ने अदालत में यह याचिका दायर की है। मलिक का नाम भी पुलिस की रिपोर्ट में है। उसने याचिका में कहा है कि सईद व 65 अन्य पर दर्ज मुकदमों का कोई कानूनी आधार नहीं है और यह कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं हो सकते हैं।
याचिका में कहा गया है कि जिन संपत्तियों पर सवाल उठाया जा रहा है, वह संपत्ति मस्जिद की है। इसलिए मामले में दर्ज एफआईआर कानूनी दायरे से बाहर हैं। याचिका में कहा गया है कि साथ ही, इन तमाम संपत्तियों का इस्तेमाल कभी भी आतंकवादी कार्रवाई में नहीं किया गया है। रिकार्ड में ऐसा कोई प्रमाण नहीं है जो इस बात को साबित कर सके।