पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने किर्ग़िज़स्तान की राजधानी बिश्केक (Bishkek) में एससीओ के सदस्य नेताओं को सम्बोधित किया था। उन्होंने कहा कि “उनका मुल्क आतंकवाद से निपटने में अपने अनुभव और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए तैयार है। आतंकवाद से जलवायु परिवर्तन, नशीले पदार्थ से जीवाणु प्रतिरोध के सभी खतरों का साइज बड़ा हो रहा है।”
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान में विकास के बाबत कहा कि “किसी भी संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं है। पाकिस्तान अफगानी नियंत्रित और अफगान स्वीकृत प्रक्रिया के जरिये ही शान्ति और सुलह के प्रयासों का पूरा समर्थन करता है। पाकिस्तानी की विदेशी नीति में शान्ति और विकास प्रमुख है।”
उन्होंने कहा कि “हम संयुक्त सम्मान, संप्रभु समानता और बराबर फायदे पर आधारित साझेदारी का निर्माण करते हैं।” पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में चीन-पाक आर्थिक गलियरे के बाबत भी बताया और कहा कि “यह राष्ट्रपति शी की बेल्ट एंड रोड इकॉनमी के तहत महत्वकांक्षी परियोजना है।”
इमरान खान ने भाषण के अंत में कहा कि “ग्वादर बंदरगाह के दक्षिणी आखिरी क्षोर बेल्ट एंड ओवरलैंड अभिशरण का एकमात्र बिंदु है। सीपीईसी साझा समृद्धता के समस्त एशियाई क्षेत्र को एकजुट कर देगी।” पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की थी।
आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में कोताही के कारण अमेरिका ने उनकी वार्षिक सैन्य सहायता को रद्द कर दिया था और इसके आलावा फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स ने पाकिस्तान को ग्रे सूची में ही रखने का फैसला लिया था। सीमा पार आतंकवाद के कारण भारत और पाकिस्तान के सम्बन्ध भी काफी बिगड़ चुके हैं।
भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि आतंकवाद का समर्थन और वित्त सहायता मुहैया करते हैं उन्हें जिम्मेदार ठहराना होगा जबकि सभी देशों को इसके खात्मे के लिए एकजुट होकर आगे आना होगा। नरेंद्र मोदी ने कहा कि “साहित्य और संस्कृति हमारे समाजों को सकारात्मक जुड़ाव मुहैया करते हैं और युवाओं में भेदभाव के बीजो को पनपने से रोकते हैं।