पेरिस में फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में पाकिस्तान को आतंक वित्तपोषण के मामले में 120 दिनो की मोहलत दी गई है। पेरिस की संस्था के मुताबिक 3 महीने तक पाकिस्तान को आतंकी संबंधित निगरानी सूची में शामिल नहीं किया जाएगा। पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अमेरिका के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति नहीं बन पाई है।
इस मामले में शीर्ष घटनाएं है:
पाकिस्तान आतंक वित्तपोषण नामांकन पर कोई सहमति नहीं:
आधी रात को ट्वीट करते हुए पाक विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका के पाकिस्तान को वॉच लिस्ट में रखने के लिए प्रस्ताव पर 20 फरवरी की बैठक में सर्वसम्मति नहीं हो पाई है। जिन दोस्तों ने मदद की है उनका शुक्रिया।
चीन, रूस, तुर्की ने पाकिस्तान को बचाया:
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के सूत्रों चीन, तुर्की और रूस एफएटीएफ के सदस्यों ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रस्ताव का विरोध किया। चीन ने हर बार मसूद अजहर मामले को लेकर भी पाक का साथ दिया है। रूस का भी साथ देना करीबी रक्षा संबंधों और रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए भारत के साथ रिश्तों में खटास पैदा कर सकता है। पाकिस्तान को आतंकवादी वित्तपोषण की निगरानी में शामिल करने पर के प्रस्ताव पर इस बार रूस ने पाक का साथ दिया है। रूस व चीन दोनों ही अमेरिका के खिलाफ माना जाता है।
जर्मनी, फ्रांस ने अमेरिकी प्रस्ताव का समर्थन किया:
पाकिस्तान के वित्त मंत्री मितफाह इस्माइल ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन ने कुछ हफ्ते पहले प्रस्ताव को आगे बढ़ा दिया था। इस पर फ्रांस व ब्रिटेन ने अमेरिका का साथ दिया था।
सूची में शामिल होने पर व्यापार और निवेश होता है कमजोरः
एफएटीएफ की निगरानी में पाकिस्तान को सूची में डाल दिया जाता तो उसके व्यापार व निवेश में कमी आती और लेनदेन की लागत में बढ़ोतरी हो सकती है। नियामकों और वित्तीय संस्थानों से अतिरिक्त जांच भी करायी जाती है। एफएटीएफ उन देशों पर निगरानी करता है जो आतंकवाद समर्थन के लिए फंड की सहायता देते है।
एफएटीएफ के पास किसी देश पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। लेकिन किसी देश की लिस्टिंग से उसके अंतरराष्ट्रीय लेनदेन पर असर पड़ सकता है। क्योंकि यह अधिक से अधिक जांच में शामिल हो सकता है। विश्लेषकों का यह आशंका था कि यदि पाक आतंकवादी वित्तपोषण में सहयोगी पाया जाता है तो पाकिस्तान के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
वैश्विक वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा होती हैः
वैश्विक वित्तीय प्रणाली की अखंडता की सुरक्षा और उस में योगदान पर एफएटीएफ सहायता प्रदान करता है। इससे संबंधित 6 दिवसीय मीटिंग भी आयोजित की जा रही है। इसमें एफएटीएफ ग्लोबल नेटवर्क के 203 न्यायालयों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र, आईएमएफ, विश्व बैंक और अन्य 700 प्रतिनिधियों से अधिक शामिल होंगे।
एफएटीएफ द्वारा आतंकवादी वित्तपोषण के नियमों के अनुरूप नहीं समझा जाने वाले देशों की ग्रे सूची में जोड़ा जाने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बन रहा था। लेकिन पाक इस शर्मिंदगी से बचने के लिए काफी प्रयास कर रहा था।
पाकिस्तान ने इस प्रस्ताव के पीछे भारत के हाथ होने का संदेह जताया है।