पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अंतरराष्ट्रीय न्यायिक अदालत के निर्णय को पाकिस्तान की जीत होने का दावा किया है। उन्होंने कहा कि “कुलभूषण जाधव के आरोप मुक्त, रिहाई और भारत में वापसी की भारत की मांग को अदालत ने स्वीकार नहीं किया है।”
पाकिस्तान का दावा
आईसीजे ने बुधवार को पाकिस्तान की हिरासत में भारत के पूर्व नौसैनिक कुलभूषण जाधव पर अपना फैसला सुनाया था और पाकिस्तानी सैन्य अदालत द्वारा जाधव को दी गई मृत्यु दंड की सजा पर समीक्षा और पुनर्विचार करने का आदेश दिया है और साथ ही जाधव तक राजनयिक पंहुच देने का आदेश दिया है।
उन्होंने कहा कि “भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पाकिस्तान में ही रहेगा और उनके साथ कानून के तहत व्यवहार किया जायेगा। यह पाकिस्तान की जीत है। भारत अपराधमुक्त करना चाहता था लेकिन यह स्वीकार नहीं किया गया था। वे रिहाई चाहते हैं, इसे भी स्वीकार नहीं किया गया था। वे वापसी चाहते थे, इसे भी अस्वीकार कर दिया था। अगर इसके बावजूद वह जीत का दावा करते हैं तो किस्मत उनका साथ दे।”
पाकिस्तान के प्रधानमन्त्री इमरान खान ने गुरुवार को कहा कि उनका देश जाधव के मामले के कानूनी प्रक्रिया का पालन करेगा। हालाँकि जाधव ने पाकिस्तान के लोगो के खिलाफ अपराध को कबूल किया है।
उन्होंने कहा कि “हम आईसीजे के निर्देश की भी सराहना करते है कि सैन्य अदालत द्वारा जाधव को दी गयी फांसी की सजा और कैद पर पाकिस्तान को पुनर्विचार और समीक्षा करनी चाहिए।” 49 वर्षीय जाधव को बलूचिस्तान से पाकिस्तानी सुरक्षा कर्मियों ने गिरफ्तार किया था।
भारत-पाकिस्तान सम्बन्ध
इस्लामाबाद ने जाधव के नाम से पहली प्राथमिकी रिपोर्ट सितम्बर 2017 में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, पूर्व नौसैन्य प्रमुख सुरेश मेहता और रॉ के प्रमुख अलोक जोशी को भेजी थी। पत्र में 11 दिसम्बर 2017 की तारीख थी, भारत ने पाकिस्तान के प्रत्यर्पण प्रस्ताव को प्रोपोगेन्डा करार दिया था।
दिसम्बर 2016 में अजित डोभाल और पाक समकक्षी लेफ्टिनेंट नसीर खान जंजुआ ने बैंकोक के होटल में सामान्य चर्चा के लिए मुलाकात की थी। इस बैठक के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने लाहौर की औचक यात्रा की थी और शरीफ की पोती की शादी में शरीक हुए थे।
राज्य सभा में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कुलभूषण जाधव के फैसले पर कहा कि “हम एक बार फिर पाकिस्तान से कुलभूषण जाधव को रिहा और भारत को सौंपने की मांग करते हैं।” पाकिस्तान द्वारा वियना संधि के उल्लंघन में आईसीजे ने 15-1 से वोट दिया था।