भारत के नागरिक कुलभूषण जाधव के मामले की सुनवाई आगामी हफ्ते चार दिनों तक अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक अदालत में होगी। इस दौरान भारत और पाकिस्तान इस मुक़दमे से सम्बंधित दस्तावेज पेश करेंगे। यह मौखिक सुनवाई चार दिनों तक होगी जिसकी शुरुआत 18 फरवरी और अंत 21 फरवरी को होगा। पहले चरण की बहस की शुरुआत 18 फरवरी को भारत करेगा और फिर दुसरे चरण पाकिस्तान अपने मुद्दे को रखेगा।
ईरान से किया था अगवा
कुलभूषण जाधव एक पूर्व नौसैन्य अधिकारी है जिसे पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी ने ने ईरान से अगवा कर लिया था।भारत के मुताबिक जाधव को ईरान से अगवा किया गया था, जहां वह नौसेना से रिटायर होने के बाद कारोबार के लिए गए थे और उनका सरकार को कोई लेना देना नहीं है। भारत ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह राजनयिक पंहुच देने से इनकार कर रहा है, जो सरासर विएना संधि का उल्लंघन है।
भारत मार्च 2016 से जाधव तक भारतीय उच्चायोग की राजनयिक पंहुच की मांग कर रहा है। हालाँकि पाकिस्तान इस मांग को ठुकराता आया है। भारत ने 8 मार्च 2017 को पाकिस्तान के खिलाफ वैश्विक अदालत में अर्जी दी थी। भरता ने कहा कि पाकिस्तान में साल 1963 में हुई विएना संधि का उल्लंघन किया है और इसके बाद वैश्विक अदालत ने जाधव की मृत्यु दंड की सज़ा पर कार्रवाई पूरी होने तक रोक लगा दी थी।
विएना संधि का उल्लंघन
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान ने कहा कि वियना संधि, 1963 केवल वैध राजनयिकों पर लागू होता है। इसके अंतगर्त जासूसी गतिविधियां नही आती है। भारत ने कुलभूषण जाधव पर लगे सब्भी आरोपों को बेबुनियाद बताया है और कहा कि उन्हें पाकिस्तानी ख़ुफ़िया विभाग के अधिकारीयों ने ईरान से हिरासत में लिया था।
पाकिस्तानी खबर के मुताबिक विदेश मंत्री शाह महमूद कुरेशी ने कहा कि पाकिस्तान के पास जाधव के खिलाफ जासूसी करने के सभी सबूत मौजूद है। साथ ही जाधव ने भी ऐसी गतिविधियों में शामिल होने की बात कबूल कर ली है। भारत ने कई बार कहा है कि पाकिस्तान में सैन्य अदालत में जाधव की सुनवाई एक ढकोसला था।