आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व कार्यकारी चंदा कोचर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत साबित करने के लिए हाल ही में सुरक्षा विशेषज्ञ सोमशेखर सुन्दरसेन को चुना है वे खुद पर लगे बैंक की नीतियों के उल्लंघन के इल्जामों को गलत साबित करना चाहती हैं।
सोमशेखर सुन्दरसेन का बयान :
इकनोमिक टाइम्स के मुताबिक इस मामले में सुरक्षा विशेषज्ञ सोमशेखर से मीडिया ने बातचीत के दौरान कहा की हालांकि उन्हें चंदा कोचर ने वकील के रूप में चुना है लेकिन उनके केस से संबंधित ज़रूरी कागज़ात उनके पास नहीं आये हैं। जब तक उनके पास ज़रूरी जानकारी नहीं आती वे यह फैसला नहीं ले पायेंगे की आगे उन्हें क्या करना है।
चंदा कोचर मामले की जानकारी :
सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि ऐसा आरोप है कि 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से वीडियोकॉन समूह को 3250 करोड़ रुपए का ऋण मिलने के कुछ महीनों बाद वीडियोकॉन प्रमोटर वेणुगोपाल धूत ने न्यूपावर में करोड़ों रुपए निवेश किए। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने धूत, दीपक कोचर और अज्ञात अन्य के खिलाफ पिछले साल मार्च में एक प्रारंभिक जांच (पीई) दर्ज की थी।
आईसीआईसीआई के अनुसार ये व्यक्ति उस मंजूरी समिति का हिस्सा थे जिसने 1,575 करोड़ रुपये के ऋण को मंजूरी दी थी। ऍफ़आईआर के अनुसार, जून 2009 और अक्टूबर 2011 के बीच आईसीआईसीआई बैंकद्वारा छह “उच्च मूल्य वाले ऋण” का वितरण किया गया था।
सीबीआई ने कहा कि कोचर और वेणुगोपाल धूत ने वीडियोकॉन समूह के लिए बड़े पैमाने पर अनियमितताओं के माध्यम से ऋण प्राप्त किया था और इसका हिस्सा दीपक कोचर द्वारा स्थापित एक फर्म में डाल दिया था, जो एक क्विड प्रो क्वो का सुझाव देता है।
लौटने होंगे 9 सालों में मिले बोनस :
चंदा कोचर द्वारा बैंक की नीतियों का उल्लंघन करते पाए जाने के कारण बैंक ने एक ठोस फैसला लिया है। इसके अंतर्गत बैंक ने चंदा कोचर को 2009 से आज तक मिले बैंक से सभी बोनस की राशि लौटानी होगी। आईसीआईसीआई के अनुसार, जांच रिपोर्ट में निष्कर्ष निकाला गया कि सुश्री कोचर ने बैंक के “आचार संहिता का उल्लंघन किया था, हितों और विवादास्पद कर्तव्यों के टकराव से निपटने के लिए इसकी रूपरेखा और लागू भारतीय कानूनों, नियमों और विनियमों के संदर्भ में बैंक ने यह फैसला सुनाया है।