अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने बीते वित्त वर्ष,मौजूदा वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद की दर को कम कर दिया है। आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक अगले वर्ष भारत की वृद्धि दर 7.3 फीसदी रहेगी जो साल 2020-21 में बढ़कर 7.3 फीसदी बढ़ेगी।
साथ ही वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 3.3 फीसदी लार दिया था। हालाँकि आईएमएफ के मुताबिक निवेश में सुधार और उपभोग बढ़ने से भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था में ही शामिल रहेगा। भारत सरकार के हाल ही में जारी आंकड़ों से वृद्धि की कमी के संकेत मिलते हैं।
इससे पूर्व रिज़र्व बैंक और एशियाई बैंक ने भी भारत के वृद्धि दर को कम कर दिया था। आईएमएफ ने अक्टूबर के मुकाबले भारत की साल 2019-20 के वृद्धि दर में 0.1 फीसदी और साल 2020-21 में 0.2 फीसदी की कमी की है। पीटीआई के मुताबिक आईएमएफ और विश्व बैंक की गर्मियों में बैठक से पूर्व जारी रिपोर्ट ‘विश्व आर्थिक परिदृश्य’ में भारत का वृद्धि दर 7.1 फीसदी था, जबकि इस दौरान चीन का वृद्धि दर 6.6 फीसदी था।
आईएमएफ के अनुमान के मुताबिक, साल 2019-20 में चीन का वृद्धि दर 6.3 फीसदी रहेगा जबकि साल 2020-21 में 6.1 फीसदी रहेगा। आईएमएफ की जारी रिपोर्ट के अनुसार साल 2019-20 में भारत की ग्रोथ का ग्राफ बढ़ेगा और 7.3 फीसदी पर पंहुच जायेगा।
आईएमएफ ने रिपोर्ट में कहा है कि “इंफ्रास्ट्रक्चर और फाइनेंसियल सेक्टर में सुधार के साथ ही सार्वजानिक कर्ज में कटौती से ही आर्थिक वृद्धि के बढ़ने की संभावनाएं हैं।”
आईएमएफ ने मंगलवार को चेतावनी जारी करते हुए कहा कि “वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह बेहद नाजुक मोड़ है। वृद्धि की रफ़्तार ब्रेक्सिट, व्यापार युद्ध और अन्य कारणों से थम गयी है। इसलिए आईएमएफ ने वैश्विक वृद्धि को घटाकर 3.3 फीसदी कर दिया है। इससे पूर्व जनवरी में 3.5 फीसदी का अनुमान लगाया था।
आईएमएफ ने कहा कि “इस साल के दुसरे छह महीनो में वैश्विक अर्थव्यवस्था रफ़्तार पकड़ेगी और साल 2020 तक 3.6 प्रतिशत तक पंहुचने की सम्भावना है। हालाँकि इसके लिए काफी सुधार करने होंगे। अमेरिका और चीन का व्यापार ययुद्ध पर सकारात्मक समाधान आना चाहिए।”
आईएमएफ की प्रमुख अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने बयान में कहा कि “इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 की पहले क्वार्टर में विश्व की 70 प्रतिशत अर्थव्यवस्था में सुस्ती के संकेत हैं। विशेषकर जर्मनी और इटली की अर्थव्यवस्था धीमी होगी। दुनिया की उभरती अर्थव्यवस्थाओं में चीन की वृद्धि 6.3 और भारत की 7.3 रहने का अनुमान है।”