पाकिस्तान आर्थिक तंगी से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बैलआउट पैकेज केलिए वार्ता कर रहा है। आईएमएफ ने पाकिस्तान को चीन से लिए गए कर्ज की जानकारी मुहैया करने की मांग की है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक, हालिया बैठक में आईएमएफ ने इस्लामाबाद को बीजिंग की वित्तीय सहायता पर चिंता व्यक्त की थी।
डॉन के मुताबिक, पाकिस्तान ने आईएमएफ को सुनिश्चित किया है कि सीपीईसी और आईएमएफ कार्यक्रम को कोई ओवरलैपिंग नहीं होगी। पाकिस्तानी वित्त मंत्री असद उमर ने कहा था कि “आगामी दिनों में पाकिस्तान और आईएमएफ एक पूर्ण समझौते पर पंहुच जायेंगे।”
बीते दो वर्षों में पाकिस्तान ने सीपीईसी के तहत 6.2 अरब डॉलर के दर्जनों प्रोजेक्टों पर हस्ताक्षर किये हैं। इसके अलावा बीजिंग ने 6.5 अरब डॉलर का कमर्शियल लोन भी मुहैया किया है। साथ ही चीन ने स्टेट बैंक ऑफ़ पाकिस्तान में 2 अरब डॉलर भी जमा किये हैं।
बीते वर्ष अक्टूबर में पाकिस्तान ने आईएमएफ से एक अन्य आर्थिक सहायता पैकेज के लिए आधिकारिक आग्रह किया था। आतंकी समूहों पर कार्रवाई न करने के कारण अमेरिका ने पाकिस्तान को वित्तिय सहायता न देने का ऐलान किया था और इसके बाद पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था चरमरा गयी है।
अमेरिका के मुताबिक, पाकिस्तान आतंकवादियों और चरमपंथियों के लिए एक सुरक्षित सरजमीं है। यही आतंकी अफगानिस्तान में 17 वर्षों तक जारी जंग के लिए भी कसूरवार है। बीते सितम्बर में पेंटागन ने 30 करोड़ डॉलर की सहायता राशि की कटौती कर दी थी क्योंकि इस्लामाबाद चरमपंथियों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल साबित हुआ था।
अगस्त में अमेरिका ने पाकिस्तान की सुरक्षा सम्बंधित वित्तीय सहायता पर भी धावा बोला था। पाकिस्तान ने कई देशों मसलन चीन, सऊदी अरब, यूएई और मलेशिया से मदद की गुहार लगाई थी। अक्टूबर में रियाद में आयोजित निवेश सम्मेलन के इतर सऊदी ने पाकिस्तान को छह अरब डॉलर की मदद करने का ऐलान किया था।
इस्लामाबाद ने चीन से 2 अरब डॉलर का कमर्शियल लोन लिया था। चीन ने पाकिस्तान को बैलेंस ऑफ़ पेमेंट सहायता मुहैया करने के लिए इंकार कर दिया था।