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    भारतीय रेलवे

    IRCTC ने पिछले वित्त वर्ष में मार्च 2018 तक करीब 28,475 करोड़ रुपये कीमत की रेल टिकट बेचने का दावा किया है। इसी के साथ IRCTC ने पिछले वर्ष की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक टिकटें बेची हैं।

    हालाँकि IRCTC ने अपने राजस्व में 3.1 प्रतिशत  की कमी आने की बात कही है, जबकि उसने बताया है कि उसका शुद्ध मुनाफा 3.2 प्रतिशत बढ़ कर 222 करोड़ रुपये पहुँच गया है।

    IRCTC को उसका राजस्व टिकट पर लगने वाले सेवा कर से, रेल नीर की बिक्री से, ट्रेनों में खाद्य सामग्री उपलब्ध करने से व प्लैटफ़ार्म पर खड़े होने वाले वेंडरों को लाइसेन्स बेंच कर प्राप्त होता है।

    IRCTC पहले नॉन एसी टिकटों के लिए 20 रुपये व एसी टिकटों के लिए 40 रुपये का सेवा शुल्क वसूल करता था, लेकिन नवंबर 2016 में नोटबन्दी के बाद सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए IRCTC पर सेवा शुल्क लेने के लिए रोक लगा दी थी।

    इसी के चलते IRCTC ने वर्ष 2017-18 में अपने राजस्व में 693 करोड़ रुपये का नुकसान दर्शाया था, वहीं आईआरसीटीसी हर वर्ष अपनी वेबसाइट पर 80 करोड़ रुपये खर्च करता है।

    इसके पहले भी सेवा कर न लेने की वजह से ही IRCTC 575 करोड़ रुपये का नुकसान दर्शा चुका है। इस तरह से नोटेबन्दी के बाद IRCTC के राजस्व को कुल 1,268 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

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