आईआरसीटीसी ने एक बार फिर से अपनी सुस्ती का परिचय देते हुए, अपने यूजर की सुरक्षा को ताक में रख दिया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार आईआरसीटीसी की वेबसाइट में एक सुरक्षा संबंधी बग को सही करने में 2 साल का समय लगा दिया है, इस अवधि के दौरान इसके यूजर की जानकारी की सुरक्षा ताक पर ही रखी रही है।
यह भी पढ़ें: अंतरराष्ट्रीय स्तर की पैंट्री कार सुविधा देगी आईआरसीटीसी
मालूम हो कि आईआरसीटीसी भारतीय रेलवे की ही एक यूनिट है, जो ट्रेनों के ऑनलाइन टिकट व रेलवे के लिए केटरिंग (खान-पान) संबंधी सुविधा उपलब्ध कराती है।
हालाँकि इस बग के चलते कितने यूजर के डाटा चोरी हुआ है या उनकी सुरक्षा पर सेंध मारी गयी है, जिस संबंध में आईआरसीटीसी ने अभी तक कोई भी आँकड़ा या बयान जारी नहीं किया है।
आईआरसीटीसी की वेबसाइट में सुरक्षा संबंधी यह बग इसी वर्ष अगस्त में पाया गया था। यह बग वेबसाइट व मोबाइल एप दोनों में ही थर्ड पार्टी बीमा कंपनी से मुफ़्त यात्रा बीमा संबंधी लिंक में मिला है।
यह भी पढ़ें: दलालों के चलते दोगुने दामों पर मिल रही है रेलवे की तत्काल टिकट
इस बाबत डेवलपरों ने आईआरसीटीसी को जानकारी देते हुए बताया था कि इस बग के चलते करीब 2 लाख यात्रियों की जानकारी साइबर हमलावरों के पास पहुँचने का अनुमान है। इस बग को 14 अगस्त को पहचाना गया था, जिसे 29 अगस्त को ठीक किया गया है।
इसी के साथ ही रेलवे ने 1 सितंबर से ही अनिवार्य यात्रा बीमा ऑप्शन पर रोक लगा दी थी।
मालूम हो कि रेलवे टिकट बुकिंग में आईआरसीटीसी का बड़ा हिस्सा शामिल है। वर्ष 2016-17 में ई-टिकट सुविधा के माध्यम से कुल आरक्षित टिकट का करीब 62 प्रतिशत हिस्सा आईआरसीटीसी के पोर्टल के जरिये ही बुक हुआ है।
गौरतलब है कि आईआरसीटीसी रोजाना 5 लाख 73 हज़ार से भी अधिक आरक्षित रेलवे टिकट बेंचती है।
इस बग की खोज करने वाले अविनाश जैन ने बताया है कि सरकार या रेलवे की तरफ से उन्हे अभी किसी भी तरह का प्रोत्साहन नहीं मिला है। मालूम हो कि भारतीय साइबर सुरक्षा रिसर्चर इस तरह पुरस्कार के रूप में सालाना 18 लाख डॉलर तक कमा लेते हैं।
यह भी पढ़ें: आईआरसीटीसी ने पेश किया एआई संचालित चैटबोट ‘आस्क दिशा’