म्यांमार में सेना की दमनकारी नीति के बाद नेता आंग सान सू की पर एक बार फिर गाज गिरी है। म्यांमार की अल्पसंख्यके रोहिंग्या समुदाय के खिलाफ सेना के नरसंहार अभियान पर आन सान सू की चुप्पी के कारण उनसे पेरिस शहर ने सम्मानीय अवार्ड वापस ले लिया है।
पेरिस की प्रवक्ता ने कहा कि म्यांमार में मानवधिकार के कई बार उल्लंघन के आंकड़े दर्ज हुए हैं और म्यांमार की सेना बल ने रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और गिरफ्तार किया था। इसी कारण मेयर ऐनी हिडैल्गो ने इस सम्मान को वापस लेने का निर्णय लिया था।
प्रवक्ता ने कहा कि यह दिसंबर के मध्य में शहर परिषद में इस निर्णय पर अंतिम मोहर लगयीं जाएगी। म्यांमार में रोहिंग्या समुदाय के साथ म्यांमार में हिंसक व्यवहार के कारण 70 हज़ार रोहिंग्या मुस्लिमों ने बांग्लादेश में शरण ली थी।
संयुक्त राष्ट्र की मानवधिकार टीम को म्यांमार में बलात्कार, हत्या और उत्पीड़न के सबूत मिले थे। इस नरसंहार, अपराध और मानवधिकार के खिलाफ जुर्म में म्यांमार की सेना के कई आला अधिकारी भी शामिल थे।
हिदेल्गो के दफ्तर से सूचना दी कि पिछले साल मेयर ने म्यांमार की नेता आन सान सू की को पत्रकार लिखकर इस मसले पर अपने विचार रखने और रोहिंग्या अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करने को कहा था। हालांकि इस पत्र का कोई जवाब नही दिया गया था।
सू की के समर्थकों के मुताबिक उनके पास सेना को रोकने की कोई शक्ति नही थी। आन सान सू की से कनाडा की सम्मानजनक नागरिकता और एमनेस्टी इंटरनेशनल ने अपना नवाजा अवार्ड वापस ले लिया था।