पाकिस्तान की सामाजिक कार्यकर्ता दिवंगत अस्मा जहांगीर को संयुक्त राष्ट्र ने सम्मानजनक मानवधिकार पुरूस्कार से नवाजा है। पाकिस्तान की ताकतवर सेना की अस्मा जहांगीर मुखर आलोचक थी। वह धार्मिक चरमपंथ के खिलाफ लड़ी। साथ ही पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के हक़ के लिए भी अस्मा जहांगीर ने जान लड़ा दी थी।
अस्मा जहांगीर को साल 2018 मानवधिकार अवार्ड से सम्मानित किया जा रहा है। इस अवार्ड साल 1968 के बाद प्रतिवर्ष दिया जाता है। अस्मा जहांगीर की पुत्री मुनिजाए जहाँगीर ने इस अवार्ड को यूएन जनरल असेंबली के अध्यक्ष मारिया फर्नान्डा के हाथों अपनी अम्मी के लिये लिया था।
तंज़ानिया में महिला शिक्षा को बढ़ावा देने वाली रेबेका गयुमी को भी अवार्ड से सम्मानित किया गया है, ब्राज़ील की पहली महिला वकील जोइना बतिस्ता को भी इस पुरूस्कार से नवाजा गया हैं।
यूएन के अध्यक्ष ऐन्टोनियो गुएटरेस्स ने कहा कि दुनिया में शांति के प्रेस के लिए सम्मानितों और अन्य मानवधिकार रक्षकों का होना जरुरी है। उन्होंने कहा कि इन व्यक्तियों का कार्य खतरनाक है। उन्होंने कहा कि हम रोजाना मानवधिकार कार्यकर्ताओं के गायब होने, उत्पीड़न, हत्या और जेल सम्बंधित ख़बरों को सुनते हैं।
उन्होंने कहा कि इस सबके बावजूद व्यक्तियों और समूहों में विश्व के कोनो से अँधेरे को हटाने का जज्बा है। जब भी मानवधिकार का उल्लंघन होता है, यह कार्यकर्ता अपनी प्रतिबद्धता का पालन करते हैं।
यह आयोजन वैश्विक मानवधिकार की 70 वीं वर्षगांठ पर आयोजित हुआ था, यह प्रतिवर्ष 10 दिसम्बर को मनाया जाता है। गुएतरेस ने कहा कि मानवधिकार के रक्षकों ने बेजुबानों को अपनी आवाज़ दी है और अन्याय के खिलाफ डट का लड़े हैं। उन्होंने कहा कि वह सभी अधिकारों के लिए खड़े होते हैं, चाहे वह सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक या संस्कृतिक हो।
यह कार्यकर्ता नियम और कायदों का समर्थन करते हैं, जिसमे महिलायें, बच्चियां और अल्पसंख्यक अपने अधिकारों का इस्तेमाल करने के लिए मुक्त हो। यूएन के अध्यक्ष ने कहा कि वे शिक्षा के माध्यम से लोगों को सशक्त बनाते हैं और अन्य मानवाधिकारों रक्षकों को शोषण, गिरफ्तारी और उत्पीड़न से बचाते हैं।
इस सामन को कई दिग्गज हस्तियों नेल्सन मंडेला, जिमी कार्टर, मार्टिन लुथर किंग, मला युसुफजई और इस साल नोबेल शांति पुरूस्कार नादिया मुराद और डेनिस मुक्वेगे को संयुक्त रूप से दिया गया था।