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    केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि असम समझौते के क्लॉज-6 के तहत एक समिति सांस्कृतिक एवं सामाजिक पहचान और स्थानीय भाषाई लोगों से संबंधित सभी चिंताओं का समाधान करेगी। विवादास्पद नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को लेकर असम के कई हिस्सों में हिंसक विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

    शाह ने ऊपरी सदन में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को पेश करते हुए कहा, “मैं इस सदन के माध्यम से असम के सभी मूल निवासियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि राजग सरकार उनकी सभी चिंताओं का ध्यान रखेगी। क्लॉज-6 के तहत गठित समिति सभी चिंताओं पर गौर करेगी।”

    शाह ने कहा कि क्लॉज-6 के तहत समिति का गठन तब तक नहीं किया गया, जब तक कि नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में नहीं आई।

    उन्होंने कहा, “पिछले 35 सालों तक कोई भी परेशान या चिंतित नहीं हुआ।”

    उन्होंने कहा कि जब असम समझौते पर तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे, तब राज्य में आंदोलन रुक गए और लोगों ने जश्न मनाया, पटाखे फोड़े, लेकिन समिति का गठन कभी नहीं किया गया।

    मंत्री ने कहा कि अब समय आ गया है कि असमिया लोगों की समस्याओं का समाधान खोजा जाए। उन्होंने क्लॉज-6 के तहत गठित समिति से अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने के लिए भी आग्रह किया।

    केंद्र सरकार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करने के लिए नागरिकता संशोधन विधेयक लाई है। मगर इससे असम के स्थानीय लोगों को डर है कि इस कदम से बांग्लादेशी प्रवासियों को वैध बनाया जाएगा, जिससे उनकी सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान को खतरा होगा।

    स्थानीय असमिया लोग नौकरी और अन्य अवसरों के नुकसान से भी डर रहे हैं।

    विधेयक पेश करते समय शाह ने इसे ऐतिहासिक करार दिया और कहा कि यह उन लाखों-करोड़ों लोगों के लिए एक आशा की किरण और एक नई शुरुआत है, जो वर्षों से अत्यधिक कठिनाई और दुख की जिंदगी जी रहे हैं।

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