असंसदीय शब्द 2021: संसद के दोनों सभाओं लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के दौरान “माननीय” सदस्य अब आलोचना या चर्चा के दौरान जुमलाजीवी, बालबुद्धि, शकुनि, लॉलीपॉप, चांडाल चौकड़ी, गुल खिलाये, पिट्ठू आदि शब्दों का प्रयोग नहीं कर पाएंगे।
दरअसल लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी “असंसदीय शब्द 2021” के नाम से ऐसे शब्दों और वाक्यों का नया संकलन तैयार किया है जिन्हें “असंसदीय अभिव्यक्ति” की श्रेणी में रखा गया है। इस संकलन मेंअन्य प्रमुख शब्द जिन्हें असंसदीय अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखा गया है, उनमें कमीना, काला सत्र, दलाल, खून की खेती, चिलम लेना, छोकरा, कोयला चोर, गोरु चोर, सांड जैसे शब्द शामिल हैं।
इन शब्दों के अलावे इस संकलन में कुछ वाक्यों को भी शामिल किया गया है जो सदन के अध्यक्ष से जुड़े हैं। जैसे- ‘आप मेरा समय खराब कर रहे हैं’, ‘आप हमलोगों का गला घोंट दीजिए’, ‘चेयर को कमजोर किया जा रहा है’, ‘यह चेयर अपने सदस्यों का संरक्षण नहीं कर पा रही है’, आदि जैसे वाक्य भी अब असंसदीय माने जाएंगे।
इस असंसदीय शब्द 2021 के संकलन में छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान विधानसभा में पहले से असंसदीय घोषित हो चुके शब्दों और वाक्यों को शामिल भी किया गया है।
साथ ही अंग्रेजी के भी कई शब्द और वाक्यों को भी शामिल किया गया है जिनमें ‘I will curse you’, ‘Beaten with Shoe’, Betrayed, Bloodshed, Cheated, ‘Shading Crocodile tears’, Donkey, Goons, Mafia, Rubbish, Snake-charmer, Taught, Traitor, आदि प्रमुख हैं।
असंसदीय शब्द 2021: विपक्ष का विरोध
जाहिर है, मानसून सत्र से ठीक पहले जारी इस संकलन को लेकर बवाल मचना ही था; लिहाज़ा विपक्ष इसे लेकर सरकार पर हमलावर है।
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनुसिंघवी ने ट्वीट कर के कहा कि “संसद के होने का फिर मतलब ही क्या है अगर आप आलोचना में रचनात्मक नहीं हो सकते? जुमलाजीवी को जुमलाजीवी नहीं बोलेंगे तो क्या बोलेंगे? शब्दों को प्रतिबंधित करना अनावश्यक है।”
1/2What is the point of parliament if you can’t be creative in your criticism? Jumlajeevi ko jumlajeevi nahi bolnege to kya bolenge? Banning words is uncalled for ! https://t.co/buc01BbX5f
— Abhishek Singhvi (@DrAMSinghvi) July 14, 2022
वहीं कांग्रेस के स्टार नेत्री प्रियंका गाँधी ने सरकार की चुटकी लेते हुए ट्वीट किया। उन्होंने कहा, “2 करोड़ रोजगार, किसानों की दुगनी आय” जैसे जुमले फेंके तो उन्हें जुमलाजीवी नहीं, ‘थैंक यू’ बोला जाए।
सरकार की मंशा है कि जब वो
भ्रष्टाचार करे, तो उसे भ्रष्ट नहीं; भ्रष्टाचार को ‘मास्टरस्ट्रोक’ बोला जाए
“2 करोड़ रोजगार”, “किसानों की आय दुगनी” जैसे जुमले फेंके, तो उसे जुमलाजीवी नहीं; ‘थैंक यू’ बोला जाए
PS: संसद में देश के अन्नदाताओं के लिए आंदोलनजीवी शब्द किसने प्रयोग किया था? pic.twitter.com/eTVfch9tAI
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 14, 2022
TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट कर के इस “असंसदीय शब्द 2021” के संकलन के संदर्भ में कहा कि “सरकार ने उन सभी शब्दों को इस लिस्ट में शामिल किया है जिसका प्रयोग सरकार की आलोचना में विपक्ष इस्तेमाल करता रहा है।
Baith jaiye. Baith Jaiye. Prem se boliye.
New list of unparliamentary words for LS & RS does not include Sanghi.
Basically govt taken all words used by opposition to describe how BJP destroying India & banned them.
— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 14, 2022
श्रीमती मोइत्रा ने एनुअल जेंडर गैप रिपोर्ट 2022 (India@135th place) जैसे कई अन्य रिपोर्ट का हवाला देते हुए ट्वीट कर के सवाल किया कि क्या अब “सच” भी असंसदीय माना जाएगा?
Is “Truth” unparliamentary?
– Annual Gender Gap Report 2022 Ranks India 135 out of 146
– On health and survival subindex, India ranked lowest at 146th place
– India among only 5 countries with gender gaps larger than 5%— Mahua Moitra (@MahuaMoitra) July 14, 2022
दरअसल, सदन में कई बार सदस्यों द्वारा ऐसे शब्दों या वाक्यों का प्रयोग किया जाता है जिन्हें बाद में सभापति के आदेश से रिकॉर्ड या कार्यवाही से बाहर निकाल दिया जाता है।
लोकसभा कामकाज नियमावली के नियम क्रम संख्या 380 के मुताबिक अध्यक्ष को यह अधिकार होता है कि अगर उन्हें लगे कि चर्चा के दौरान अपमानजनक या आपत्तिजनक अभिव्यक्ति का प्रयोग हुआ है तो वे उसे सदन के कार्यवाही से हटा सकते हैं।
असंसदीय शब्द 2021 की सूची में ज़्यादातर ऐसे शब्दों को शामिल किया गया है जिसे विपक्ष अक्सर ही सरकार की आलोचना करने के लिए इस्तेमाल करती रही है।
कुछ विशेष शब्द जैसे ‘जुमलाजीवी’ आदि “मोदी सरकार” की आलोचना के लिए इस्तेमाल किया जाने लगा जो असल में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा विपक्ष को “आन्दोलनजीवी” कहे जाने का प्रत्युत्तर था। अब इसे असंसदीय अभिव्यक्ति में डाले जाने से विपक्ष अप्रत्यक्ष आरोप लगा रही है कि सरकार आलोचनाओं से डरती है।