नई दिल्ली, 8 जुलाई (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को वह याचिका खारिज कर दी, जिसमें कुछ सरकारी अधिकारियों के खिलाफ जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने की मांग की गई थी, जिन्होंने अवैध रूप से फोन काल टैप किए थे। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति सी. हरिशंकर की खंडपीठ ने सार्थक चतुर्वेदी द्वारा दायर याचिका खारिज कर दी।
पीठ ने कहा, “हमें इस संबंध में और दिशानिर्देश बनाने का कोई कारण नजर नहीं आता है, क्योंकि टेलीग्राफ नियमों में पर्याप्त मात्रा में नियम और कानून मौजूद हैं। इसके अलावा, हमें अधिकारियों की जांच के लिए एसआईटी गठित करने का भी कोई कारण नहीं दिखता है।”
याचिका में कहा गया था कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के कुछ अधिकारियों ने खुद के निजी स्वार्थ के लिए कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर अवैध रूप से फोन टैपिंग करने का अपराध किया।
याचिका में मांग की गई थी कि न्यायालय इस बाबत एसआईटी का गठन करे या सीधे केंद्र सरकार को यह निर्देश दे कि सरकार इस मामले की जांच करे।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि “सीबीआई में काम करने वाले कुछ लोकसेवक अपने निहित उद्देश्यों के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग करते हैं।”
याचिकाकर्ता ने पूर्व विशेष सीबीआई निदेशक राकेश अस्थाना से जुड़े एक मामले का उदाहरण भी दिया, जिसे अपदस्थ सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा के निर्देश पर दर्ज किया गया था।