भारत में जन्मे अर्थशास्त्री अभिजित बनर्जी, उनकी फ्रेंच-अमेरिकी पत्नी एस्थेर दुफ्लो और अमेरिका के मिचेल क्रेमर को अर्थशास्त्री विज्ञान में नोबेल पुरूस्कार से नवाजा गया है। तीनो अर्थशास्त्रियो ने वैश्विक गरीबी से उभरने पर प्रयोग किया था।
नोबल प्राइज ट्वीटर हैंडल ने बताया कि “2019 इकनोमिक साइंस लौरेअटेस की रिसर्च में वैश्विक गरीबी से लड़ने की क्षमता में सुधार किया गया है। सिर्फ दो दशको में उनका नया प्रयोग अर्थव्यवस्था को विकसित करेगा जो अब खोज के लिए एक समृद्धशाली क्षेत्र है।”
बयान में कहा कि “यह मसलो को बेहद छोटे, अधिक प्रबंधक सवालों में विभाजित कर देता है। मसलन, बच्चो के स्वास्थ्य में सुधार के लिए सबसे प्रभावी नुख्सा है। 70 करोड़ लोगो की अभी तक आय न्यूनतम से भी कम है। हर साल 50 लाख बच्चो की अपने पांचवे जन्मदिन से पूर्व ही मृत्यु हो जाती है खासकर बीमारियों से क्योंकि उन्हें बेहद सस्ता और घटिया इलाज मुहैया किया जाता है।”
साल 1990 के मध्य में एक अमेरिकी अर्थशास्त्री क्रेमर और उनके सहयोगियों ने प्रयोग के आधार पर दृष्टिकोण की ताकत को दर्शाया था, इसके लिए कई फील्ड प्रयोग किये गए थे जो पश्चिमी केन्या में स्कूल के परिणामो में सुधार कर सकता था।
बनर्जी और दुफ्लो ने भी क्रेमर के साथ अन्य देशो और अन्य मामलो पर वैसा ही अध्ययन शुरू कर दिया, उन्होंने भारत पर प्रयोग किया। यह प्रयोग्यात्मक खोज का तरीका अब विकसित अर्थव्यवस्थाओं में प्रभुत्व बनाये हुए हैं। साल 2019 के अनुसंधान से गरीबी से लड़ने में बेहद सुधार होगा।
उनके अध्ययन के मुताबिक, 50 लाख से अधिक भारतीय बच्चो को इस कार्यक्रम से बहद फायदा मिला है। बेनर्जी ने साल 1983 में जवाहर लाल यूनिवर्सिटी से अर्थशास्त्र में परास्नातक पूरा कर लिया था। साल 1988 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी करने के लिए गए थे।
कोलकाता में जन्मे 58 वर्षीय अर्थशास्त्री अभी मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल प्रोफेसर ऑफ़ इकोनॉमिक्स में हैं।