नोबेल पुरूस्कार संघठन तरक्की के हर विभाग में अव्वल शूरवीर को नोबेल पुरूस्कार से सम्मानित कर रहा है। अर्थशास्त्र के विभाग में नोबेल पुरूस्कार के जजों ने विलियम नॉर्डहोस और पॉल रोमेर को संयुक्त रूप से इस पुरूस्कार से नवाज़ा है। इन दोनों ज्ञाताओं को अर्थशास्त्र में नई पद्धति की खोज और आर्थिक वृद्धि के साथ जलवायु के सम्बन्ध के लिए नोबेल दिया गया है।
विलियम नॉर्डहोस (67) अमेरिका की येल यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर हैं। इनको अर्थशास्त्र में नोबेल पुरूस्कार मैक्रोइकॉनॉमिक्स के विश्लेषण से जलवायु परिवर्तन के नाते की खोज के लिए मिला है। वह येल यूनिवर्सिटी के ही छात्र थे उन्होंने स्नातक और परास्नातक की उपाधि क्रमशः 1963 और 1973 में प्राप्त कर ली थी। विलियम नॉर्डहोस ने पीएचडी मेसाचुसेट्स इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी से की थी।
इन्होने अपने कार्य की शुरुआत साल 1970 में की थी। इन्होने अर्थव्यवस्था और प्रकृति के मध्य ताल्लुकात तलाशने की कवायद शुरू की। साल 1990 में विलियम नॉर्डहोस ने जलवायु और अर्थव्यवस्था के बीच संबंधों को समझाने का एक मॉडल तैयार किया। इस मॉडल का प्रयोग जलवायु नीतियों की समीक्षा के लिए किया जाता है।
पॉल रोमेर न्यूयोर्क में एनवाईयू स्टर्न स्कूल ऑफ़ बिज़नेस में प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है। उन्हें यह नोबेल पुरूस्कार मैक्रोइकॉनॉमिक्स विश्लेषण में तकनीक की नई पद्धति की खोज के लिए मिला है। पॉल रोमेर साल 1977 में फिलिप्स एक्सेक्टर अकादमी से मैथमैटिक में स्नातक हुए थे।
उन्होंने अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन और पीएचडी शिकागो यूनिवर्सिटी से क्रमशः 1978 और 1983 में की थी। उन्होंने दिखाया कि कैसे अर्थव्यावस्था की शक्ति व्यापार को नयी पद्धति और विचारों को उत्पन्न करने के लिए मज़बूर करती है। साल 1990 में इनका कार्य एक पर पत्रिका में प्रकाशित हुआ था जिसे अब ‘एन्डोजीनॉस ग्रोथ थ्योरी’ के नाम से जाना जाता है।
विलियम नॉर्डहोस और पॉल रोमेर के कार्य ने आर्थिक विश्लेषण के द्वार खोल दिए हैं। इन मॉडल के माध्यम से अर्थशास्त्रियों ने समझाया कि मार्किट इकॉनमी ज्ञान और प्रकृति से किस प्रकार सम्बंधित है।