अमेरिका और चीन के मध्य चल रहे व्यापार युद्ध के बीच बीजिंग ने भारत के तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया है। चीन ने कहा कि व्यापार के संरक्षण के लिए नई दिल्ली और बीजिंग को सहभागिता मज़बूत करने पर ध्यान देना चाहिए। चीनी दूतावास ने बयान जारी कर कहा कि भारत चीन सम्बन्ध सुधरने से भारत की आर्थिक मदद होगी।
चीन ने अमेरिका के आंतरिक मामलों में दखलंदाज़ी के बाबत बताया कि अमेरिका की यह सोच उनकी भारत और चीन जैसे विकाशील देशों के आंतरिक मसलों में दखलअंदजी को दर्शाता है। अमेरिका धार्मिक और मानवधिकार मसलों पर अन्य देशों में हस्तक्षेप करता है।
चीनी प्रवक्ता ने बताया कि दोनों राष्ट्र विकाशील है जिसका उभरता हुआ बाजार है। चीन और भारत को अर्थव्यवस्था को मज़बूत करने के लिए रिश्तों को सुधारना चाहिए।
अमेरिका पर निशाना साधते हुए चीनी प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और निष्पक्ष व्यापार के नाम पर एकपक्षीय व्यापार संरक्षणवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस संरक्षणवाद से न सिर्फ चीन का आर्थिक विकास प्रभावित होगा बल्कि भारत पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।
दावोस में आयोजित हुए विश्व आर्थिक मंच पर चीनी राष्ट्रपति और भारतीय पीएम ने बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली और मुक्त व्यापार का समर्थन किया था।
चीनी प्रवक्ता ने कहा कि क्विनडाओ और 10 वें ब्रिक्स सम्मलेन में नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग ने एकपक्षीय संरक्षणवाद के विरोध का सन्देश दिया था। उन्होंने कहा अमेरिका को बाधा बनने से बाज आना चाहिए और समझौते के जरिये विवादों का समाधान निकालना चाहिए।
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बाबत चीनी प्रवक्ता ने कहा कि चीन पर निशाना साधने के लिए पैसिफिक इलाके का हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। उन्होंने कहा क्षेत्रीय विकास और सहयोग में मदद करने वाले राष्ट्रों के लिए बीजिंग के दरवाजे सदैव खुले हैं।
चीनी प्रवक्ता ने कहा कि बीजिंग पर अन्य विकाशील राष्ट्रों को कर्ज के जाल में फांसने का आरोप, राष्ट्रों के मध्य कलह के बीज बोने की कोशिश है।