भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2021-22 की पहली तिमाही में 20.1% बढ़ा जबकि एक साल पहले इसी तिमाही में जीडीपी में 24.4% संकुचन दर्ज किया गया था। लेकिन कोविड-19 की दूसरी लहर के कारण आर्थिक गतिविधि पूर्व-महामारी के स्तर से अभी भी काफी नीचे रही।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के अनुसार अप्रैल से जून की अवधि के दौरान अर्थव्यवस्था में सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) 2020-21 की पहली तिमाही में 22.2% की गिरावट के बाद अब 18.8% बढ़ा। पिछले साल के राष्ट्रीय लॉकडाउन के बीच विकसित होने वाला एकमात्र क्षेत्र कृषि, वानिकी और मत्स्य पालन का जीवीए इस साल की पहली तिमाही में 4.5% बढ़ने की गति से बढ़ी जो कि 2020-21 की पहली तिमाही में 3.5% थी।
इस साल की पहली तिमाही में कुल जीवीए अभी भी 2019-20 की पहली तिमाही की तुलना में 7.8% कम है जिसमें कुल उत्पादन ₹30,47,516 करोड़ पर था। जबकि जीडीपी 2019-20 के स्तर से 9.2% कम रहा। यह दर्शाता है कि अर्थव्यवस्था को अभी भी कुछ रास्ता तय करना है इससे पहले कि वह पहले से प्रचलित गतिविधि स्तरों पर लौट आए। बिजली, गैस, पानी की आपूर्ति और अन्य उपयोगिता सेवाएं, जिनका जीवीए 2021-22 की पहली तिमाही में 14.3% बढ़ा जबकि पिछले साल इसमें 9.9% की गिरावट आई थी।
आईसीआरए की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि पिछले साल के कड़े राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के निम्न आधार ने अर्थव्यवस्था पर कोरोना की दूसरी लहर के प्रभाव को छुपा दिया था और पहली तिमाही में साल-दर-साल तेज विस्तार विश्लेषणात्मक रूप से भ्रामक है। एनएसओ ने जीडीपी अनुमानों की व्याख्या के लिए एक चेतावनी के रूप में बताया कि, “कुछ मामलों में 2021-22 में विकास दर कम आधार के कारण बहुत अधिक है।”
निर्माण और विनिर्माण जीवीए ने इस साल अप्रैल और जून के बीच 68.3% और 49.6% की वृद्धि दर्ज की, जबकि पिछले साल क्रमशः 49.5% और 36% संकुचन दर्ज किया गया था। उत्पादन के मोर्चे पर सार्वजनिक प्रशासन, रक्षा और शिक्षा, स्वास्थ्य और मनोरंजन जैसी अन्य सेवाओं में 5.8% की वृद्धि हुई लेकिन पूर्व-महामारी के स्तर से यह अभी भी 5% कम रही।