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    अरूण जेटली, एफआरडीआई विधेयक

    एफआरडीआई बिल को संसद के शीलकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। इस बिल के पास होते ही कई चीजों में परिवर्तन देखने को मिलेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इस बिल में बैंकों और जमाकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सारे कदम उठाए जाएंगे।
    उन्होंने कहा कि सरकार का पहला उद्देश्य आम आदमी के हितों की रक्षा करना है, और सरकार किसी कीमत पर अपने उद्देश्यों को पूरा करेगी।

    वित्त मंत्री अरूण जेटली ने गुरूवार को कहा कि एफआरडीआई विधेयक में जमाकर्ताओं के अधिकारों की रक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा बैंक डिपॉजिटर्स के सभी अधिकार ना केवल सुरक्षित रहेंगे बल्कि उन अधिकारों को और मजबूत बनाया जाएगा। जेटली ने सोशल मीडिया पर चल रही तमाम खबरों का एक सिरे खंडन किया है। उन्होंने कहा कि इसी तरह की सभी बातें पूरी तरह से अफवाह हैं।

    आर्थिक मामलों के सचिव एससी गर्ग के अनुसार एफआरडीआई विधेयक में जमाकर्ताओं के मौजूदा अधिकारों की रक्षा का प्रस्ताव है। उन्होंने कहा कि एफआरडीआई बिल में ऐसी कोई तब्दीली नहीं की जाएगी जिससे बैंकों में जमा लोगों के पैसों किसी प्रकार की आंच आए। उन्होंने कहा कि पीएसयू बैंक जमाकर्ता सरकारी स्वामित्व के तहत आते हैं। अत: सार्वजनिक बैंकों में जमाकर्ताओं के पैसों की गारंटी सरकार लेती है।

    आप को बता दें कि सरकार ने अगस्त 2017 में वित्तीय संकल्प और जमा विधेयक लोकसभा में पेश किया था, जिसे संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा गया है। यह विधेयक वित्तीय सेवा प्रदाताओं के दिवालियापन से निपटने की कोशिश करेगा।

    जमाकर्ताओं के पैसे डूबने की अफवाह

    इधर कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर यह खबर तेजी से वायरल हो रही थी कि जो बैंक डूबने के कगार पर हैं, उनके जमाकर्ताओं के पैसे वापस नहीं दिए जाएंगे। इस खबरों में बताया जा रहा था कि केंद्र सरकार ने बैंकिंग सुधार प्रक्रिया के तहत 2017 के जून में एक बिल को स्वीकृति प्रदान की है जिसके तहत बैंकों में जमा ग्राहकों के पैसे डूब सकते हैं।