केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कहा कि इस साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी के एजेंडे और एक राजनीतिक समूह का उपयोग किया जाएगा, जो ‘चुनावी अंकगणित’ का सबसे अच्छा उपयोग करने की कोशिश करेगा।
अपने ब्लॉग में वित्त मंत्री ने दावा किया कि उत्तर प्रदेश और कर्नाटक को छोड़ कर, 2019 का चुनाव 2014 जैसा ही होगा जहाँ भाजपा ने सांफ तौर पर जीत हासिल की थी। हालांकि उन्होंने कहा कि यूपी में सपा-बसपा गठबंधन और कर्नाटक में जेडीएस की वजह से अंकगणित संयोजन बदल सकता है।
उनके मुताबिक, “उत्तर प्रदेश और कुछ हद तक कर्नाटक में, अंकगणित संयोजन 2014 से कुछ अलग नज़र नहीं आ रहा है। इन दोनों राज्यों में पूरा जोर जातिगत गठबंधन पर है। ऐसे जातिगत गठबंधन में वोट हस्तांतरणीयता इतनी सरल नहीं है। स्थानीय घनिष्ठता अलग तरह से प्रतिक्रिया देती हैं। इनमें से कई संयोजन सैद्धांतिक प्रस्ताव के रूप में समाप्त होते हैं।”
उन्होंने आगे कहा-“भाजपा और एनडीए को सीधे चुनाव में 50% से अधिक वोट के लिए लड़ाई लड़नी है। कई राज्य अभी भी त्रिकोणीय प्रतियोगिता के गवाह बनेंगे।”
भाजपा नेता ने विपक्षियों द्वारा मोदी के खिलाफ बन रहे महागठबंधन पर भी टिपण्णी करते हुए कहा कि ये नकारात्मकता से भरा हुआ है और लोगों को पांच साल की सरकार चाहिए, छह महीनों की नहीं।
उन्होंने हाल ही में, पश्चिम बंगाल में हुई विपक्षी रैली पर भी तंज कसते हुए कहा-“ऊपर से तो ये मोदी-विरोधी रैली थी। मगर अधिक महत्वपूर्ण रूप से यह एक गैर-राहुल गांधी रैली भी थी। प्रधानमंत्री मोदी को चुनौती देने के चार इच्छुक प्रधानमंत्रियों को विपक्षी राजनीति ने घेर लिया है। ममता बनर्जी के अलावा, राहुल गाँधी, मायावती और केसीआर कोलकाता से गायब थे।” जेटली ने ये भी कहा कि ऐसा कोई भाषण नहीं था जिसमे नेताओं ने भविष्य को लेकर कोई सकारात्मक विचार रखे हो।