मंगलवार को वित्त मंत्री ने उर्जित पटेल के इस्तीफे पर एक और बयान दिया। उन्होंने कहा की उनके इस्तीफे में सरकार की कोई भूमिका नहीं थी। उन्होंने यह भी कहा कुछ मामूली मतभेदों के बावजूद सरकार ने इस्तीफा देने के लिए नहीं कहा था।
रिज़र्व से सरकार को एक पैसा भी नहीं चाहिए
वित्त मंत्री ने यह भी कहा की सरकार को वर्तमान वित्तीय वर्ष में RBI के पूँजी भण्डार से एक पैसे की भी ज़रुरत नहीं है। उन्होंने यह भी बताया की रिज़र्व के मुद्दे पर सरकार एवं केंद्रीय बैंक के बीच बातचीत RBI की बोर्ड मीटिंग में हो चुकी है।
RBI गवर्नर के इस्तीफे का कारण
RBI के 24वें गवर्नर उर्जित पटेल ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। लेकिन लोगों ने इस्तीफे के कारणों पर सवाल उठाये थे। कुछ अधिकारियों के अनुसार इस्तीफे का कारण गवर्नर एवं सरकार के बीच मतभेद थे। सरकार को इसकी वजह से आलोचकों का सामना करना पड़ा था।
इस्तीफे के दो दिन बाद ही पूर्व नौकरशाह शक्तिकांत दास को गवर्नर बना दिया गया था।
RBI एवं सरकार के बीच क्या मतभेद था ?
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार सरकार ने RBI के रिज़र्व में से 3.6 लाख करोड़ रुपयों को हस्तांतरित करने की मांग कि थी जिस पर RBI मुकर गया था जिससे सरकार एवं RBI के बीच मतभेद हुआ था। सरकार ने ऐसा करने के लिए यह तर्क दिया था की RBI के पास दुसरे देशों के केन्द्रिय बैंकों कि तुलना में कहीं अधिक रिज़र्व है तो सरकार ने इसे रिलीज़ करने के लिए कहा था।
इससे पहले 26 अक्टूबर को RBI के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने बताया था कि किस प्रकार रिज़र्व का केंद्र सरकार को हस्तांतरण विनाशकारी हो सकता है।
आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन के जाने के बाद मोदी सरकार ने पटेल का चयन किया था। लेकिन पिछले कुछ महीनों से पटेल के तेवर सरकार के साथ मेल नहीं खा रहे थे। पटेल का तीन साल का कार्यकाल सितंबर, 2019 में समाप्त हो रहा था।