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    बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को माफिया डॉन अरुण जी. गवली को महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण कानून (मकोका) के तहत शिवसेना पार्षद की हत्या के मामले में निचली अदालत द्वारा 2012 में दी गई उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। न्यायमूर्ति बी.पी. धर्माधिकारी और न्यायमूर्ति स्वप्ना जोशी एक खंडपीठ ने पूर्व विधायक गवली के साथ ही इस अपराध में शामिल उसके कुछ अन्य सहयोगियों की सजा की भी पुष्टि की।

    इसके बाद गवली के वकील एस. पाटिल ने कहा कि वह हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे।

    उल्लेखनीय है कि गवली द्वारा भेजे गए कुछ हमलावरों ने मार्च, 2008 में शिवसेना पार्षद कमलाकर जमसांडेकर के घाटकोपर स्थित घर में घुसकर उनकी हत्या कर दी थी।

    दो महीने के बाद गवली को गिरफ्तार कर लिया गया और एक विशेष अदालत ने उसे 2012 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसकी पुष्टि अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी कर दी है।

    माफिया डॉन तब से जेल में है और वर्तमान में वह नागपुर सेंट्रल जेल में बंद है।

    इससे पहले विशेष मकोका अदालत ने गवली को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए उस पर 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था और भुगतान करने में असफल रहने पर उसे तीन साल की जेल और काटनी होगी।

    विशेष अदालत ने इस मामले में नौ अन्य लोगों को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इसके अलावा मामले में शामिल सुनील घाटे को शस्त्र अधिनियम के तहत तीन साल जेल की सजा सुनाई गई।

    अभियोजन पक्ष ने कहा कि गवली और 10 अन्य आरोपियों ने जमसांडेकर को खत्म करने के लिए 30 लाख रुपये का ठेका लिया था। जमसांडेकर 2007 के बृहन्मुंबई नगर निगम चुनावों में विजयी रहे थे और उनकी कुछ स्थानीय बिल्डरों के साथ कथित व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता रही थी।

    21 मई 2008 को गवली को गिरफ्तार किया गया, जबकि अक्टूबर 2010 में उसके खिलाफ हत्या, आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं के तहत मामले दर्ज किए गए। अभियोजन पक्ष ने गवली के लिए मृत्युदंड की मांग की थी।

    गवली को 2004 में उसके समर्थकों के बीच ‘डैडी’ नाम से जाना जाता था। वह विधायक बनकर महाराष्ट्र विधानसभा भी पहुंचा, मगर मई 2008 में जमसांडेकर की हत्या के मामले में उसे गिरफ्तार कर लिया गया और वह तभी से जेल में है।

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