अन्ना हजारे ने अब वापस ली गई दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 को लेकर बड़ा बयान दिया है। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने कहा कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजनीति में जाने के बाद ‘अपने आदर्शों को भूल गए हैं’। अन्ना ने केजरीवाल पर सत्ता के नशे में डूबे होने का आरोप लगाया है।
केजरीवाल को एक पत्र में हजारे ने केजरीवाल की किताब ‘स्वराज’ का हवाला देते हुए शराब के प्रति अपने पहले के रुख को याद करने की सलाह दी। उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली सरकार की नीति का असर शराब की खपत और बिक्री को बढ़ावा देने के साथ-साथ भ्रष्टाचार की बढ़ती संभावनाओं पर पड़ सकता है। हजारे ने कहा कि यह आम इंसान के लिए हानिकारक होगा।
उन्होंने कहा, हर वार्ड में सीएम केजरीवाल शराब की दुकान खोली और आयु सीमा 25 वर्ष से घटाकर 21 वर्ष कर दी। वह शराब का प्रचार कर रहा है। मैंने इसके खिलाफ महसूस किया और इसलिए पहली बार मैंने उसे लिखा। जब मैं विरोध कर रहा था तो वह मुझे अपना ‘गुरु’ कहते थे, अब वो भावनाएं कहां हैं?
हजारे ने आगे कहा कि आप नेता 2012 के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के आदर्शों पर खरे नहीं रहे, जिसमें दोनों ने एक साथ काम किया। हजारे ने लिखा कि लोकायुक्त कानून लाने के बजाय, केजरीवाल की सरकार एक ऐसी नीति लाई है जो ‘जीवन बर्बाद’ और महिलाओं को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी।
नई आबकारी नीति में कथित भ्रष्टाचार को लेकर आम आदमी पार्टी की सरकार विवादों में घिर गई है। 19 अगस्त को, सीबीआई ने उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के घर सहित 31 जगहों पर छापेमारी की। सीबीआई ने उनके और राजधानी में कई आबकारी अधिकारियों के खिलाफ दर्ज की है।
दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने आबकारी नीति की सीबीआई जांच की सिफारिश के एक महीने से भी कम समय में यह सब हुआ। दिल्ली सरकार ने घोषणा की थी कि वह नीति वापस ले रही है।
केजरीवाल ने कहा, भाजपा कहती रही हैं कि शराब नीति में घोटाला हुआ है लेकिन सीबीआई ने कहा कि कोई घोटाला नहीं है। जनता उनकी नहीं सुन रही है, अब ये अन्ना हजारे जी के कांधे पर रख के बंदूख चला रहे हैं। राजनीति में यह आम बात है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा- अब जब सीबीआई जांच से कुछ नहीं निकला, इसमें राजनीति नहीं होनी चाहिए। अब इस बात की जांच होनी चाहिए कि वे दिल्ली में विधायकों को 20-20 करोड़ रुपये में कैसे खरीदना चाहते थे। अगर हम इससे नहीं भागे तो वे क्यों?