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    अभद्र टिप्पणी मामले में शनिवार को यहां तपस्वी छावनी के महंत सर्वेश्वर दास ने परमहंस दास को तपस्वी छावनी से निष्कासित कर दिया। सर्वेश्वर दास ने पत्रकारों से कहा, “परमहंस दास का वास्तविक नाम उदय नारायण दास है। परमहंस ने फर्जी तरीके से अपने को महंत घोषित कर लिया है। इतना ही नहीं वह खुद को जगतगुरु भी बताते हैं। अयोध्या के संतों से भी अनुरोध है कि परमहंस का बहिष्कार करें।”

    उन्होंने कहा कि परमहंस दास का आचरण ठीक नहीं है, क्योंकि पूज्य संत-महंतों पर अशोभनीय टिप्पणी करना संतों का आचरण नहीं है।

    सर्वेश्वर दास ने कहा कि उन्होंने “कभी लिखित रूप से परमहंस को उत्तराधिकारी महंत नहीं घोषित किया है। आश्रम में रहकर सेवा करने का काम उन्हें सौंपा गया था। इसको न निभा कर वह फर्जी रूप से जगतगुरु बनने का नाटक कर रहे हैं। अयोध्या की सनातन परंपरा के गौरव को नष्ट कर रहे हैं।”

    उन्होंने कहा, “उन्होंने महंत नृत्य गोपाल दास पर आरोप लगाए हैं। ऐसे में तपस्वी छावनी से उनका बहिष्कार किया जाता है।”

    इस बारे में परमहंस दास की प्रतिक्रिया के लिए कई बार उनसे संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया फिलहाल नहीं मिली है।

    ज्ञात हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट बनाने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया है, जिसके अध्यक्ष पद को लेकर संतों में आपसी घमासान शुरू हो गया है। शुक्रवार को ऐसा ही एक अडियो वायरल हुआ था, जिसमें रामजन्मभूमि न्यास के सदस्य एवं पूर्व सांसद डॉ. राम विलास वेदांती तपस्वी छावनी के महंत परमहंसदास से खुद को अध्यक्ष बनाए जाने के लिए आवाज उठाने के लिए प्रेरित कर रहे थे। इसी बातचीत में रामजन्मभूमि न्यास (ट्रस्ट) के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास को लेकर अपमानजनक भाषा का भी इस्तेमाल किया गया है, जिसे लेकर बवाल मचा था।

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