वैश्विक सलाहकार PwC द्वारा हाल ही में पेश की गयी एक रिपोर्ट के अंतर्गत ई-कॉमर्स सेक्टर जिसमे अमेज़न एवं फ्लिप्कार्ट शामिल हैं, भारत सरकार द्वारा नीतियों में निवेश प्रतिबन्ध लगाने पर इन कंपनियों की बिक्री 46 अरब डॉलर तक कम हो सकती है।
नीतियों में क्या क्या बदला?
हाल ही में ई-कॉमर्स सेक्टर की नीतियों में सरकार द्वारा बदलाव किये गए हैं एवं कई प्रतिबन्ध लगाए गए हैं। इसमें ये है की जिस कंपनी की हिस्सेदारी इन ई-कॉमर्स दिगाजों के पास है उसके उत्पाद ये ज्यादा नहीं बेच सकते हैं। इसके अलावा यह भी नियम बनाया है की अबसे इनकी वेबसाइट पर कोई एक्सक्लूसिव डील नहीं लगेगी।
इसके साथ साथ छोटे व्यापारियों को फायदा देने के लिए सरकार ने यह निया भी जारी किये हैं की ई-कॉमर्स कंपनियां ग्राहकों को लुभाने के लिए उत्पादों पर भारी छूट नहीं देंगी।
बिक्री में आएगी भारी गिरावट :
PwC द्वारा तैयार किए गए विश्लेषण से पता चला है कि ऑनलाइन बेची जाने वाली वस्तुओं का सकल-व्यापारिक मूल्य मार्च में समाप्त होने वाले चालू वित्त वर्ष में उम्मीदों से 800 मिलियन डॉलर कम हो सकता है। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाले तीन वर्षों में बिक्री में भारी गिरावट देखि जा सकती है, जो अगले तीन वर्षों में $ 45.2 बिलियन से कम हो सकती है।
क्या है नीतियों में बदलाव का कारण :
ई-कॉमर्स व्यापारों की नीति में किये गए बदलावों का मुख्य कारण व्यापारियों की बढती शिकायतें थी। ये थी की ई-कॉमर्स वेबसाइट अपने द्वारा उत्पाआद बनाकर उन्हें भारी छूट पर बेचती है जिससे छोटे खुदरा व्यापारियों की बिक्री गिर रही है। इससे उन्हें कम लाभ हो रहा है।
कुछ सूत्र बता रहे हिं की ये हाल ही के बदलावों का मुख्य लक्ष्य आगामी लोकसभा चुनावों में व्यापारियों का साथ पाना है। इसके अलावा भी सरकार मध्य वर्ग का साथ पाने के लिए आयकर छूट के नियम बदल चुकी है।
अमेज़न, फ्लिप्कार्ट ने तिथि को आगे बढाने का किया आग्रह :
सरकार के इन नियमों के बदले जाने पर खबर आई थी की अमेज़न एवं फ्लिप्कार्ट मिलकर इनका विरोध करेंगे। लेकिन अब हाल ही में खबर मिली है की फ्लिप्कार्ट ने सरकार से 6 महीनों का अतिरिक्त समय माँगा है। फ्लिप्कार्ट के हिसाब से यह उसकी नयी योजना बनाने का उचित समय होगा।