भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने फ्लिपकार्ट और अमेज़न को CCI एक्ट 202 के धारा चार (जो कि किसी भी कंपनी को उसकी स्थिति का दुरुपयोग करने से रोकती है) के तहत क्लीन चिट दे दी है।
आयोग ने कहा है कि “वर्तमान में ऑनलाइन बाज़ार के स्वरूप को देखते हुए कोई भी कंपनी बाज़ार अपनी स्थायी हिस्सेदारी की घोषणा नहीं कर सकती है। ऐसे में अखिल भारतीय ऑनलाइन वेंडर्स असोशिएशन द्वारा कथित तौर पर फ्लिपकार्ट की हिस्सेदारी को 40 प्रतिशत बताना कोई मुद्दा नहीं है।”
ऐसे में सीसीआई ने कहा है कि यह हो सकता है कि फ्लिपकार्ट अधिक मात्रा में संसाधनों पर अपनी पहुँच रखता हो।
मालूम हो कि हाल ही में वालमार्ट द्वारा फ्लिपकार्ट में किए गए निवेश के बाद इस बार फ्लिपकार्ट ने काफी तैयारी के साथ अपनी सेल ग्राहकों के सामने पेश की थी।
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अखिल भारतीय ऑनलाइन विक्रेता असोशिएशन ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट के खिलाफ यह केस दाखिल किया था। इसके तहत असोशिएशन का आरोप था कि इन दोनों ही कंपनियों ने प्रतिस्पर्धा एक्ट 2002 की धारा 4 का उलंघन किया है।
असोशिएशन ने दावा किया है कि तमाम थोक विक्रेता बिना किसी औपचारिकता के फ्लिपकार्ट जैसी बड़ी कंपनियों को अपना समान बड़ी छूट के साथ दे देते हैं, इसकी के चलते ये कंपनियाँ बड़े डिस्काउंट के साथ इन उत्पादों को बाज़ार में बेंच रहीं है।
इन कंपनियों द्वारा थोक विक्रेताओं से इस तरह समान खरीदना प्रतिस्पर्धा एक्ट 2002 की धारा 4 के तहत अपराध की श्रेणी में आता है।
इसी के साथ में असोशिएशन ने बताया है कि इस बार छोटे विक्रेता जो अपना समान सीधे ग्राहकों को बेंचते थे, अब उन्हे इन बड़ी कंपनियों के फेर में फसना पड़ रहा है, जिससे उनके मुनाफे में भी सीधा असर पड़ रहा है।
हालाँकि इन सब के बीच आयोग का मानना है कि देश में ऑनलाइन बाज़ार अभी आरंभ हो रहा है। ऐसे में इस तरह की समस्याओं के बीच ताल-मेल बिठाने में थोड़ा समय लगेगा।
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