अमेरिकी राजदूत ने चीनी शिविरों में कैद 10 लाख उइगर मुस्लिमों की हालात भयावह बताये। अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता मामलों के अमेरिकी राजदूत सैम ब्रोनबैंक ने मंगलवार को कैद में मुस्लिम बंदियों की स्वतंत्र जांच और उन्हें रिहा करने की की मांग थी।
अमेरिकी राजदूत का बयान
बीते सप्ताह अमेरिकी राजदूत के बयान पर चीन ने क्रोधित होकर विरोध किया था। राजदूत सैम ने बीते सप्ताह हांगकांग में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बनी बीजिंग की नीतियों की आलोचना की और आरोप लगाया की चीन आस्था के साथ जंग लड़ रहा है।
पत्रकारों से बातचीत में सैम ने बताया कि “चीन के स्पष्टीकरण से संतोषजनक जवाब नहीं मिलता है।” अमेरिका ने धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाली फेरहिस्त में चीन का नाम भी शामिल किया है।
उइगर मुस्लिमों की हालत
चीन के दक्षिणी भाग में स्थित शिनजिआंग प्रान्त में उइगर मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और इस क्षेत्र को आधिकारिक तौर पर स्वायत्तता प्रदान कर रखी है। जानकारों के मुताबिक चीन के शिनजिआंग के शिविरों में लाखों उइगर मुस्लिमों को नजरबन्द रखा गया है।
अंतर्राष्ट्रीय मानवधिकार कार्यकर्ता ने कहा कि यह एक धार्मिक व संजातीय समूह की पहचान बदलने का प्रयास है। एमनेस्टी इंटरनेशनल की सेक्रेटरी जनरल ने कहा कि शिनजियांग एक खुले कैदखाने के रूप में परिवर्तित हो गया है। जहां के निवासी अपनी ही सरजमीं पर बेगाने हो गए हैं।
साउथ चाइना मोर्निंग पोस्ट के मुताबिक बीजिंग ने शुरुआत में इन आरोपों को खारिज किया और बाद मे बताया कि उन लोगों को शिविरों में प्रशिक्षण के लिए रखा गया है। अमेरिकी मानवधिकार कार्यकर्ता रोशन अब्बास ने कहा कि कई लोग सालों से अपने परिवार व दोस्तों से संपर्क साधने में असमर्थ है।
शिनजिआंग में उइगर मुस्लिम वर्षों से हिंसा व उत्पीड़न झेल रहा है। इस इलाके में कड़ी सुरक्षा के लिए चीन ने आतंकी गतिविधियों को जिम्मेदार ठहराया है। आलोचकों और परिवार के सदस्यों के मुताबिक इन कथित प्रशिक्षण शिविरों में लोगों का ब्रेनवाश किया जा रहा है, उन्हें इस्लाम त्यागकर चीनी समाज को अपनाने के लिए मज़बूर किया जा रहा है।