अमेरिका के दो सैन्य युद्धपोत सोमवार को विवादित दक्षिणी चीनी सागर के नजदीक दिखाई दिए और समुद्र पर चीन के दावे को चुनौती देते नज़र आये। चीन ने अमेरिका पर परेशानियों में इजाफा करने के आरोप लगाए हैं।
सीएनएन के मुताबिक अमेरिका के दो मिसाइल विध्वंशक यूएसएस स्प्रुएंस और यूएसएस प्रबल ने 12 नॉटिकल मील तक भ्रमण किया, जिसे अमेरिका सेना ने नौचालन अभियान की स्वतंत्रता कहा है।
बाज आये अमेरिका
अमेरिका की इस हरकत पर भड़कते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि “अमेरिका दक्षिणी चीनी सागर में परिशानियां बढ़ाना तय कर चुका है, तनाव बढ़ाना छटा है और शान्ति को दरकिनार कर रहा है।” उन्होंने अमेरिका को इन भड़काऊ कदम को तुरंत रोकने की चेतावनी दी है।
अमेरिका चीन पर आरोप लगाता रहा है कि वह अपनी सैन्य सुविधाओं के लिए छोटे चट्टानों के निर्माण कर रहा है। चीन पूरे दक्षिणी चीनी सागर पर अपना दावा मानता है। साथ ही ब्रूनेई, मलेशिया, फिलीपीन्स और वियतनाम भी इस समुद्री मार्ग पर अपना दावा करता है। हर साल इस मार्ग से 5 ट्रिलियन व्यापार जहाज गुजरते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अभियान
अमेरिकी नौसेना के प्रवक्ता ने कहा कि सोमवार को आयोजित अभियान का मकसद अत्याधिक समुद्री दावों को चुनौती और अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर आधारित जलीय मार्ग आवाजाही का संरक्षण था। उन्होंने कहा कि “सभी अभियानों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत तैयार किया गया था और यह स्पष्ट करना था कि अमेरिका अंतर्राष्ट्रीय अनुमति वाले इलाकों में अपने जहाजों को उड़ा, नौचालन और संचालन कर सकता है।
बीते सितम्बर में चीन का एक विध्वंशक अमेरिकी युद्धपोत के 45 गज अंदर तक आ गया था। अमेरिका ने कहा था कि चीनी युद्धपोतों का रवैया असुरक्षित और गैर पेशेवर है। वही चीन ने कहा कि अमेरिकी युद्धपोत हमारी अखंडता और सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं। बीते पांच वर्षों से चीन सैन्यकरण के लिए कृत्रिम द्वीपों का निर्माण कर रहा है। चीन के मुताबिक यह रक्षा के लिए जरुरी है और इसका जिम्मेदार अमेरिका है। अमेरिका चीन पर सैन्यकरण के विस्तार के आरोप लगाता रहता है।