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ईरान पर वित्तीय संकट

अमेरिका के 5 नवम्बर से ईरान पर लागू हुए प्रतिबन्धों के कारण तेहरान की अर्थव्यवस्था की हालत बिगड़ती जा रही है। इन प्रतिबंधों से ईरानी व्यापारी और आम जनता को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। साल 2015 से पूर्व ईरान की अर्थव्यवस्था बेहद खस्ताहाल थी। डोनाल्ड ट्रम्प ने साल 2015 में हुई परमाणु संधि को तोड़कर ईरानी अर्थव्यवस्था को वहीं लाकर खड़ा कर दिया है जहां से ईरान से संभालना शुरू किया था।

तेहरान के बाज़ार में 70 वर्षीय व्यापारी हैदर फेकरी ने बताया कि इतनी उम्र में पहली बार मैं निश्चित नहीं हूँ कि मैं टिक पाउँगा या नहीं। उन्होंने कहा मेरे शेल्व्स, वेयरहाउस सब खाली हो रहे हैं और मैं एक दिन सभी दरवाजे बंद कर दूंगा। मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी यहाँ गुजार दी लेकिन यह दरवाजे बंद करके मैं जिन्दा नहीं रह पाउँगा।

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के मुताबिक प्रतिबंधो के कारण कई देशों ने ईरान से तेल ख़रीदा बंद कर दिया है, अगले साल तक ईरान की अर्थव्यवस्था 3.6 फीसदी तक सिकुड़ जाएगी। व्यापारी ने बताया कि पिछले छह माह 90 प्रतिशत सेल में कमी आई है, पूरा तेहरान बाज़ार किल्लत से जूझ रहा है।

सैम कोर्दिएर ने बताया कि कोई नहीं जानता कि अमेरिकी क्या चाहते हैं, जो वो चाहते थे हमने सब किया लेकिन उनके लिए ये भी नाकाफी था। उन्होंने कहा अमेरिका का यह रवैया सही नहीं है। अगर ऐसा ही रहा तो निवेश बंद हो जायेगा। उन्होंने कहा कि मजबूरन उन्हें 30 में छह कर्मचारियों को नौकरी से निकलना पड़ा और शेष बाकियों की तनख्वाह कम करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि मेरे विदेशीं क्लाइंट अपने बैग पैक का जाने की तैयारियाँ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के कई युवा, शिक्षित लोग देश छोड़ रहे हैं।

ईरानी जनता अमेरिका को प्रतिबंधों के लिए कोस रही है लेकिन साथ ही ईरानी सरकार को भी संरक्षण न देने के कारण घृणित नज़रों से देख रही है। कॉफी शॉप के मालिक इरफान युसुफी ने कहा कि हाँ अमेरिका ने बुरा किया है लेकिन उन्होंने अपने हितों को देखते हुए यह कदम उठाये हैं। ईरानी सरकार यदि जनता के हितों को देखते हुए कदम उठाती यों हम ऐसे हालातों में न फंसे होते।

ईरानी राष्ट्रपति ने कैबिनेट में कहा था कि सब समझते हैं कि जनता दिक्कतों से जूझ रही है और दबाव में है। उन्होंने विदेशी मीडिया पर आरोप लगाया कि उन्होंने जनता के दिमाग में कीमते बढ़ने की गलत धारणा भरी है। ईरान के केंद्रीय बैंक के मुताबिक सितम्बर में खाद्य पदार्थों की कीमत में 46.5 फीसदी की वृद्धि हुई थी।

कॉफ़ी शॉप के ओनर ने बताया की हमारी पीढ़ी अपने भविष्य को लेकर चिंतित है कि उन्हें खुद को साबित करने का एक एक मौका तक नहीं मिलेगा।

By कविता

कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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