अमेरिका की सेना ने दो नौसेना के जहाजों को ताइवानी जलमार्ग पर भेजे थे। चीन की चेतावनी के बावजूद पेंटागन ने विवादित रणनीतिक जलमार्ग पर अभियान की दर को बढ़ा दिया है। रविवार को चीन के साथ तनावों के बढ़ने के आसार नजर आ रहे हैं।
ताइवान को चीन अपने नियंत्रण का भाग मानता हैं लेकिन हाल ही में डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन ने ताइवान की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाये थे। इससे ताइवान और चीन के बीच भी तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिका और चीन के बीच तनाव का उभरता हुआ कारण ताइवान है और दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध भी जारी है।
अमेरिका के प्रतिबन्ध और दक्षिणी चीनी सागर में चीन की सैन्य कार्रवाई बढ़ रही है। अमेरिका इस जलमार्ग पर नौचालन की आज़ादी के लिए गश्त करता रहता है। दो विध्वंशक जहाजों का नाम विलियम पी लॉरेंस और स्टेथम है। 180 किलोमीटर का ताइवानी जलमार्ग ताइवान को चीन की सरजमीं से अलग करता है।
गार्डियन के मुताबिक अमेरिकी नाइसेना के प्रवक्ता कमांडर क्ले डॉस ने कहा कि “जहाज ताइवान के जलमार्ग से गुजरे थे और उनका मकसद मुक्त और खुले इंडो पैसिफिक की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करना है। नौचालन के दौरान अन्य देशों के साथ कोई असुरक्षित या गैर पेशेवर परस्पर क्रिया नहीं हुई थी।
ताइवान के रक्षा मंत्रालय ने कहा कि “इस जलमार के जरिये अमेरिकी जहाजों ने उत्तर में नौचालन किया था। ताइवान के जलमार्ग पर अमेरिकी जहाजों का गुजरना, इंडो पैसिफिक रणनीति का भाग था।” इसके बाबत चीन ने कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं की है।
अमेरिका के ताइवान के साथ कोई आधिकारिक सम्बन्ध नहीं है लेकिन वह कानून से मदद करने के लिए बंधा हुआ है जिसके तहत ताइवान को आत्मरक्षा करने और हथियार मुहैया करने मदद करेगा। पेंटागन के मुताबिक साल 2010 से तायपेई को 15 अरब डॉलर से अधिक के हथियार बेच चुके हैं। द्वीप पर अपनी सम्प्रभुता के लिए चीन काफी दबाव बढ़ा रहा है।
चीन निरंतर द्वीप पर सैन्य एयरक्राफ्ट और जहाजों को भेजता रहता है और ताइवान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर से अलग-थलग करने के लिए कार्य कर रहा है। तायपेई के कुछ रणनीतिक संबंधों को चीन ने खत्म किया है।