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    संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में जारी अपनी रिपोर्ट में कहा कि भारत उन देशों में शुमार है, जिसे भारत और अमेरिका के मध्य चल रहे व्यापार युद्ध से फायदा हुआ हैं। यूएन कांफ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलोपमेन्ट की रिपोर्ट के मुताबिक इस व्यापार युद्ध से कई देशों और क्षेत्रों को फायदा होगा। इससे यूरोपीय संघ के निर्यात में 70 अरब तक कि वृद्धि हो सकती है। जापान और कनाडा के निर्यात 20 अरब डॉलर से अधिक होगा।

    ऑस्ट्रेलिया के निर्यात में 4.6 फीसद, ब्राजील के निर्यात में 3.8 फीसदी, भारत के निर्यात में 3.5 फीसदी, फिलीपीन्स के 3.2 फीसदी और वियतनाम का निर्यात में 5 फ़ीसदी की वृद्धि होगी। यूएन के जानकारों ने कहा कि चीन और अमेरिका के व्यापार युद्ध से दोनो देशों के निर्यात पर फर्क पड़ेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर बजी इसका भारी असर होगा।

    यूएन की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने चीन के 250  अरब डॉलर के उत्पादों पर अतिरिक्त शुल्क लगाया है। हालांकि इसमें से सिर्फ छह फीसदी का आयात करने की ही अमेरिकी कंपनियों की संभावना है। अमेरिका का चयन के साथ 375 अरब डॉलर का व्यापार घाटा हैं। इए व्यापार घाटे को कम करने  के लिए चीन ने अमेरिका के उत्पादों का एआत बढ़ाने और निवेश में वृद्धि जौसे सुझावों को अमल में लाने का वादा किया है।

    इन सुझावों को लागू करने की समयसीमा मार्च 2019 तय की गई है। दोनो राष्ट्रों के मध्य इसके बाद किसी समझौते पर न पंहुचने के बाद लगाया गया शुल्क 10 फीसदी से बढ़कर 25 फीसदी है।

    रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बाद समस्या है कि यह व्यापार युद्ध, मुद्रा जंग में परिवर्तित हो जाएगा। उन्होंने चेताया कि यह जंग पूर्वी एशिया पर भारी पड़ सकती है।

    निर्यातकों को संस्था फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने बताया कि ‘ अमेरिका चीन के व्यापार युद्ध कसे भारत को अधिकतर फायदा हुआ है।’ उन्होंने कहा कि चीन कप किये गए निर्यात में 32 फीसदी की वृद्धि हुई है और अमेरिका को किये जाने वाकई उत्पादों के निर्यात ने भी 12 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

    उन्होंने कहा कि पेट्रोलियम उत्पाद, रसायन, सूती धागा, प्लास्टिक के कच्चे माल और समुंद्री माल के निर्यात में वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि वैश्विक व्यापार के लिए टैरिफ बिल्कुल भी अच्छा नही है, लेकिन भारत सहित अन्य देशों के लिए यह एक बेहतरीन अवसर है। भारत का चयन को निर्यात बढ़ने से देश का फायदा है क्योंकि हमारे और चीन के मध्य व्यापार घाटा काफी अधिक है।

    ट्रम्प कंपनी ने इससे पूर्व 250 अरब डॉलर के चीनी उत्पादों पर शुल्क लगाया था। वहीँ जवाबी कार्यवाही करते हुए चीन ने  60 अरब डॉलर के अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगाया था। ज्ञात हो इससे पहले अमेरिका ने चीन को 25 फीसदी शुल्क लगाने की चेतावनी दी थी लेकिन अभी 10 फीसदी ही लगाया है। अमेरिका ने चीनी लकड़ी से बने फर्नीचर पर भी शुल्क लगाया है।

    By कविता

    कविता ने राजनीति विज्ञान में स्नातक और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वर्तमान में कविता द इंडियन वायर के लिए विदेशी मुद्दों से सम्बंधित लेख लिखती हैं।

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