अमेरिकी कांग्रेस ने डोनाल्ड ट्रम्प को झटका देते हुए यमन में सऊदी की मदद खत्म करने वाले प्रस्ताव को पारित कर दिया है। कांग्रेस के सांसदों ने युद्ध मे अमेरिका को न झोंकने के समर्थन में अपना मत दिया है।
दा गार्डियन के मुतबिक अमेरिका के सदन में बुधवार को 248 मतों से इस विधेयक को पारित कर दिया गया था। सीनेट में बीते वर्ष ऐसा ही विधेयक प्रस्तावित किया गया था, उस दौरान कांग्रेस में रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में थी लेकिन वे इस प्रस्ताव पर मतदान नही कर पाए और नतीजतन यह विधेयक खारिज हो गया था।
मौजूदा समय मे डेमोक्रेट्स का सदन में बहुमत है। सालों से अमेरिकी सेना की दखलंदाज़ी का विरोध कर रहे डेमोक्रैट सांसद रो खन्ना ने कहा कि सदन में प्रस्ताव पारित होने के बाद हम इस मानवीय प्रलय में अपनी भागीदारी को खत्म करने के काफी करीब है। विपक्षी सांसदों ने सीरिया और अफगानिस्तान से सैनिकों को वापस बुलाने पर अपना विरोध प्रकट किया था।
पिछले माह सीनेट में यमन में अमेरिकी सेना के सहयोग के खिलाफ एक प्रस्ताव लाया गया था। इसमें पश्चिमी समर्थित सुन्नी मुस्लिमों का गठबंधन के साथ सूचना साझा करना और हथियार मुहैया करना भी था। अमेरिकी उप सहायक सचिव टिमोथी लान्देर्किंग ने कहा कि हमारे प्रशासन पर दबाव है…या तो इस गठबंधन का सहयोग न करे या इस विवाद से पीछे हट जाए, जिसकी हम मजबूती से खिलाफत करते हैं।
उन्होंने कहा कि हमें यकीन है कि इस गठबंधन का सहयोग जरुरी है। उन्होंने कहा कि सहयोग वापस लेने से गलत सन्देश जायेगा। हाल ही में सऊदी अरब ने अमेरिका के बेस से अपने जहाजों में ईंधन न भरने के फैसले का ऐलान किया था।
अमेरिकी सहायक सचिव ने कहा कि शांति वार्ता इस विवाद के अंत का पहला पड़ाव है। इस विवाद के कारण लाखो लोग मारे गए हैं और लाखों भी भुखमरी में जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम यमन को स्थिर और संयुक्त देखना की इच्छा रखते हैं न कि उसे अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय स्थिरता में बहता रहना देने चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सऊदी अरब और यूएई का गठबंधन यमन में अल कायदा और इस्लामिक चरमपंथियों का विनाश कर देगा।