अमेरिका ने बीते कुछ वर्षों में कई शैक्षिक संस्थानों को निशाना बनाया गया है, जिसके कारण अमेरीकी प्रशासन ने स्कूल में बंदूके रखने का प्रस्ताव दिया है। डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा गठित सुरक्षा समिति ने विद्यालयों में गोलीबारी की घटना को रोकने के लिए बंदूक रखने का प्रस्ताव रखा है। इस समिति का नेतृत्व शिक्षा सचिव बेट्सी देवोस कर रहे हैं।
पार्कलैंड की घटना
इस वर्ष फरवरी में फ्लोरिडा, पार्कलैंड में एक पूर्व छात्र ने गोलीबारी में 17 लोगों की जान ली थी, इस घटना के बाद अमेरिका में जमकर प्रदर्शन हुआ था।
इस समिति ने बंदूक खरीदने के लिए उम्र बढ़ाने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। 180 पन्नों की इस रिपोर्ट में बताया गया कि स्कूली बंदूक हमलावर अधिकतर अपने माता-पिता या परिवार के सदस्यों से हथियार लेते हैं।
रिपोर्ट का सुझाव
परिषद् ने कहा कि हिंसा के विरुद्ध तत्काल प्रतिकार के लिए शिक्षकों में सेना के लोगों की भी भर्ती की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण इलाकों में जहां पुलिस को आने में देर लग सकती है, ये कई मायनों में फायदेमंद है। रिपोर्ट में शैक्षिक संस्थानों में पूर्व सैन्य दिग्गज और सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों को नौकरी पर रखने का प्रस्ताव भी है।
यह प्रस्ताव साल 2014 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के अनुशासित दिशा निर्देशों से की समीक्षा की भी मांग करता है, जिसमे ब्लैक और लैटिन छात्रों के साथ हुए भेदभाव पर निष्कासन और निलंबन का विकल्प मौजूद था। समिति की रिपोर्ट के मुताबिक इससे स्कूल की सुरक्षा और अनुशासन पर गहरा नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।
डोनाल्ड ट्रम्प की आलोचना
डेमोक्रेटिक की प्रतिनिधि नैंसी पेलोसी ने इस प्रस्ताव की आलोचना की थी और कहा कि डोनाल्ड ट्रम्प और दावोस “बहुत नीचे तक गिर चुके हैं।” उन्होंने ट्वीटर पर कहा कि अमेरिकी स्कूल के बच्चों के संरक्षण की इस रिपोर्ट को छात्रों और माता पिता को #एनफ यानी अब बस कहना चाहिए।
पार्कलैंड के स्कूल के हमले में मारी गयी बच्ची की माता रयान पेट्टी ने पलोसी के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा कि आलोचना करना बहुत आसान होता है, क्या आप पार्कलैंड की पीड़ित परिवारों के साथ बैठकर इस रिपोर्ट पर चर्चा कर सकती हैं।
वांशिगटन पोस्ट द्वारा एकत्रित किये गए आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 1999 से अमेरिका में स्कूल में बंदूक हमलो में 219,000 छात्रों की हत्या की गयी है।