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    सीरियाई गृहयुद्ध रूस

    पिछले कई सालों से युद्ध से जूझ रहे सीरिया में शांति बहाली पर विचार विमर्श करने के लिए, रूस, ईरान, तुर्की के विदेश मंत्रियो ने मास्को में मुलाकात की।

    सीरिया में सत्तारूढ़ राष्ट्रपति बशर-अल-असद की सरकार को रूस, ईरान और तुर्की का समर्थन प्राप्त हैं और रूस राष्ट्रपति असद को मदत करते हुए सीरिया में कई सैन्य मोर्च संभाले हुए हैं।

    पिछले वर्ष कजाकस्तान की राजधानी अस्ताना में तीनों देशों के विदेश मंत्रियो ने सीरिया में शांति प्रक्रिया शुरू की थी। इस शांति वार्ता को अस्ताना शांति प्रक्रिया कहा जाता हैं।

    अस्ताना शांति प्रक्रिया, पश्चिमी देशों द्वारा शुरू जिनेवा शांति प्रक्रिया के पार्श्वभूमी में शुरू की गयी समकक्ष प्रक्रिया हैं।

    सीरिया में युद्ध 2011 में शुरू हुआ था, जल्द ही इस युद्ध ने आक्रामक रूप ले लिया। इस युद्ध के चलते कई सीरियाई पलायन करने पर मजबूर हैं। अब तक इस युद्ध में 3,50,000 लोग अपनी जान गवा चुके हैं।

    युद्ध से निपटने के लिए राष्ट्रपति असद ने रूस और ईरान से सैन्य मदत मांगी थी। रुसी और ईरानी सेना विरोधाकों द्वारा कब्जे में लिए गए हिस्से को फिरसे सीरियाई सरकार के नियंत्रण में लाने में मदत कर रही हैं।

    इस मुलाकात के बाद आयोजित प्रेस वार्ता में रुसी विदेश मंत्री सेर्गेय लोवरोव ने कहा, “सीरिया में शांति बहाली के प्रश्न पर समाधान निकालने के लिए, रूस, ईरान और तुर्की ने एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किये हैं।” रूसी विदेश मंत्री ने इस शांति प्रयासों को कम न आंकने की चेतावती पश्चिमी देशों को दी।

    आपको बतादे, सीरिया का ज्यादातर हिस्सा सीरियाई सरकार के नियंत्रण में हैं। इनदिनों लड़ाई का मुख्य केंद्र सीरिया का उत्तरी प्रान्त हैं, जोंकी तुर्की की सीमा के पास हैं। तुर्की सरकार विरोधी सशस्त्र सेना को समर्थन करता हैं।

    पिछले दिनों रुसी राष्ट्रपति पुतिन ने अपने ईरानी समकक्ष हसन रौहानी से टेलीफोन पर बात की। दोनों ने अमरीकी बमबारी को सीरिया में शांति और स्थिरता के लिए घातक बताया।

    अप्रैल के शुरुवाती दिंनों में अमेरिका और उसके सहयोगी ब्रिटेन और फ्रांस नें सीरिया पर 105 मिसाइलें दागी। इस हमले का मुख्य निशाना रासायनिक हथियोरों की फैक्ट्री को बताया जा रहा हैं। इससे पहले सीरियाई शहर डौमा में रासायनिक गैस का उपयोग किया गया था, इसके लिए पश्चिमी गठबंधन रूस को जिम्मेदार मनाता हैं।

    सीरिया और रूस ने ऐसे किसी भी हमले से इन्कार किया हैं। और अन्तर्राष्ट्रीय रासायनिक हथियारों की नियामक संस्था ओपीसीडब्लू भी डौमा शहर का दौर कर चुकी है।

    पिछले सात सालों से चल रहा सीरियाई युद्ध, सीरियाई सरकार और विरोधी न रहकर, अमेरिका विरुद्ध रूसहो चूका हैं। दोनों देश अपने प्रभाव क्षेत्र की रक्षा करना चाहते हैं और अपने महाशक्ति होने का परिचय देना चाहते हैं।

    इस युद्ध में मासूम सीरियाई लोग हैं, जो अपना वतन छोड़ दुसरे देशों में शरण लेने के किये मजबूर हैं। उम्मीद हैं, रूस और अमेरिका अपने बीच के तनाव और दुश्मनी को कुछ समय के लिए देय रख कर सीरिया प्रश्न का समाधान निकालने में सफल होंगे।

    अभी इस वक्त सीरिया का भविष्य अंधकारमय दिख रहा हैं, इसमें कोई शंका नहीं हैं।

    By प्रशांत पंद्री

    प्रशांत, पुणे विश्वविद्यालय में बीबीए(कंप्यूटर एप्लीकेशन्स) के तृतीय वर्ष के छात्र हैं। वे अन्तर्राष्ट्रीय राजनीती, रक्षा और प्रोग्रामिंग लैंग्वेजेज में रूचि रखते हैं।

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