अमेरिका, रूस और इजराइल ने मंगलवार को ऐतिहासिक त्रिकोणीय बैठक का के दौरान सीरिया से इजराइल की वापसी पर सहमति हुई है। हालाँकि इस पर कोई समझौता नहीं हुआ कि कब और कैसा ऐसा संभव होगा। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि “हम सीरिया से ईरान को हटाने के लिए दृढ़ है। विश्व की दो महाशक्तियों के साथ ही इजराइल भी इस पर रजामंद हुए है कि हमें अपने लक्ष्य को हासिल करना होगा कि साल 2011 में सीरिया में प्रवेश हुई सभी विदेशी सेनाओं की पीछे हटना होगा।”
इजराइल के पीएम ने कहा कि “इस मामले पर राष्ट्रपति ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन के बीच भी चर्चा की जाएगी, मुझे उम्मीद है कि हमारा एक लक्ष्य है कि क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा की व्यवस्था को हासिल करना चाहते है और इजराइल की सुरक्षा चाहते हैं।”
ट्रम्प और पुतिन की जापान में आयोजित जी-20 के सम्मेलन के इतर में भी मुलाकात होगी। बोल्टन ने पत्रकारों से कहा कि “यह परिणामो पर असहमति का सवाल नहीं है लेकिन एक समाधान ढूंढने का संयुक्त प्रयास है। तीनो देशों के बीच सेनाओं को हटाने के लिए एक योजना पर संभावित बातचीत की जाएगी।
केएएन के मुताबिक, रूस ने ईरान की सेनाओं और हथियारों को इजराइल की सीमा से 100 किलोमीटर की दूरी पर रखने पर सहमति जाहिर की है। सीरिया से ईरानी सेना की वापसी के बदले अमेरिका से रूस रियायत की उम्मीद रखता है। पतृसेव ने ईरान के समर्थन और इजराइल के खिलाफ कहा था और क्षेत्र को अस्थिर करने के अमेरिका द्वारा ईरान पर दोषारोपण की भी आलोचना की थी।
उन्होंने कहा कि “ईरान हमारा साझेदार है और रहेगा, हम अपने संबंधों को विकसित कर रहे हैं। तेहरान को वैश्विक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण खतरा मानने की कोशिश और आईएसआईएस व अन्य आतंकी समूहों के टोकरे में ईरान को रखना, अस्वीकृत है।”
रुसी मंत्री ने कहा कि “सीरिया में आतंकवाद के खिलाफ जंग में ईरान बेहद योगदान दे रहा है, हालातो को स्थिर करने में मदद कर रहा है। हम अपने साझेदारों को संयमता बरतने और तनाव व चिंताओं को खत्म करने के प्रयासों की मांग करते हैं। ईरान और इजराइल के बीच तनावों को कम करने के लिए कोशिशों को अंजाम देना चाहिए।”
पतृसेव ने कहा कि “उन्हें यकीन है कि अमेरिकी ड्रोन को ईरान ने मार गिराया था वह उस समय ईरानी हवाई क्षेत्र में मौजूद था। सीरिया में ईरानी सेना के खिलाफ इजराइल के हवाई हमले अस्वीकार है। रूस और इजराइल के रक्षा मंत्रालय के बीच अधिक सहयोग। कई हवाई हमलो के बचाव किया गया है।”
उन्होंने कहा कि “इजराइल और ईरान के बीच तनावों को कम करने के लिए कदम उठाने चाहिए। सीरिया को संघर्ष का मैदान नहीं बनाना चाहिए।” नेतन्याहू ने कहा कि “तीनो देशों के बीच वहां सहयोग के व्यापक आधार है। जितनी लम्बे वक्त तक ईरान सीरिया में बना रहेगा, जब वह खतरा बनेगा इजराइल उनके खिलाफ कार्रवाई का अधिकार रखेगा।”
नेतन्याहू ने कहा कि “इजराइल, सीरिया और अमेरिका तीनो शांतिपूर्ण, स्थिर और सुरक्षित सीरिया रखना चाहते हैं। हमारा इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए एकसमान उद्देश्य है। साल 2011 के बाद सीरिया में प्रवेश करने वाली विदेशी सेनाओं को वहां रहने का हक़ है।”
नेतन्याहू ने कहा कि “यह रूस के लिए अच्छा होगा, अमेरिका के लिए अच्छा होगा, इजराइल और सीरिया के लिए भी अच्छा होगा।” वांशिगटन और तेहरान के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। बोल्टन ने कहा कि “ईरान को अमेरिका के विवेक को उनकी कमजोरी नहीं समझनी चाहिए।”
उन्होंने कहा कि “ईरान को परमाणु हथियारों का विस्तार करने के मंसूबो को त्यागना चाहिए। उन्हें एक रणनीतिक कदम उठाना चाहिए था जो उन्होंने अभी तक नहीं लिया है। अमेरिका के राष्ट्रपति ने बातचीत के सभी द्वारों को खुला रखा है। ईरान को सिर्फ इस दरवाजे से भीतर आने की जरुरत है।”
अमेरिका के आला अधिकारी राज्य सचिव माइक पोम्पिओ और अमेरिका के ईरान में विशेष प्रतिनिधि ब्रायन हुक ने भी अरब नेताओं के साथ ईरान पर चर्चा की थी।
उन्होंने कहा कि “ईरान को सिर्फ उस खुले दरवाजे पर चलने की जरुरत है।” ईरान के राष्ट्रपति ने कहा कि “वांशिगटन का ईरान के सर्वोच्च नेता और अन्य अधिकारीयों पर प्रतिबंधों को थोपने का निर्णय साबित करता है कि वह वार्ता के बाबत झूठ बोल रहे थे।
ईरानी राष्ट्रपति ने कहा कि “इसी दौरान आप बातचीत के लिए प्रस्ताव दे रहे है, आप विदेश मंत्री पर प्रतिबन्ध लगाना चाहते हैं। यह सच है कि आप झूठ बोल रहे हैं।” रूहानी ने कहा कि “खमेनेई के खिलाफ प्रतिबन्ध नाकाम होंगे क्योंकि उनकी विदेश में कोई संपत्ति नहीं है। रूहानी ने हालिया प्रतिबंधों को अमेरिकी निराशा का संकेत दिया था।”